निजी क्षेत्र में आरक्षण पर सांसद डॉ. मन्नालाल रावत के सवाल पर सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय का जवाब
उदयपुर। भारत सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने यह स्पष्ट किया है कि केन्द्र सरकार के पदों और सेवाओं के लिए अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, अन्य पिछड़े वर्गों, आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों और महिला उम्मीदवारों को आरक्षण और विभिन्न रियायतों के विशेषाधिकार का फिलहाल निजी क्षेत्र में कार्यान्वयन को लेकर कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। मंत्रालय की ओर से यह जवाब उदयपुर डॉ. सांसद मन्नालाल रावत द्वारा पूछे गए अतारांकित प्रश्न के उत्तर में दिया गया।
सांसद रावत की ओर से यह प्रश्न किए गए थे कि क्या केन्द्र सरकार के पदों और सेवाओं के लिए अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, अन्य पिछड़े वर्गो, आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों और महिला उम्मीदवारों पर आरक्षण और विभिन्न रियायते विशेषाधिकार लागू होते हैं। उक्त उपबंध कब से प्रभावी हुए है और संगत अधिसूचना का ब्यौरा क्या है। क्या सरकार का विचार उक्त प्रावधानों को निजी क्षेत्र में भी लागू करने का है तथा जम्मू और कश्मीर में उक्त प्रावधान कब से लागू कर दिए गए हैं?
सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास आठवले की ओर से मंत्रालय द्वारा जवाब में बताया गया कि कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) द्वारा समय-समय पर जारी व्यापक दिशा निर्देशों के अनुसार अखिल भारतीय स्तर पर खुली प्रतियोगिता द्वारा सिविल पदों और सिविल सेवाओं में सीधी भर्ती द्वारा नियुक्ति के मामले में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के सदस्यों को क्रमशः 15 प्रतिशत, 7.5 प्रतिशत और 27 प्रतिशत आरक्षण प्रदान किया जाता है। इसके अलावा, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के वे लोग जो अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण योजना के अंतर्गत नहीं आते हैं, उन्हें खुली प्रतियोगिता के माध्यम से भारत सरकार में सिविल पदों और सेवाओं में सीधी भर्ती में 10 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा।
पदोन्नति के मामलों में, अनुसूचित जातियों के लिए 15 प्रतिशत और अनुसूचित जनजातियों के लिए लिए 7.5 प्रतिशत की दर से आरक्षण प्रदान किया जाता है। इसके अतिरिक्त किसी सेवा या पद पर सीधी भर्ती के मामले में अनुसूचित जातियों व अनुसूचित जनजातियों को 5 वर्ष तथा अन्य पिछड़ा वर्गों को 3 वर्ष की छूट प्रदान की जाती है। समूह के पदों के लिए महिलाओं को 35 वर्ष (एससी, एसटी के सदस्यों के लिए 40 वर्ष) की आयु तक की छूट प्रदान की जाती है। इसके अलावा, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों को किसी भी भर्ती परीक्षा या चयन में प्रवेश के लिए कोई शुल्क नहीं देना होगा। मंत्रालय की ओर से बताया गया कि निजी क्षेत्र में उक्त प्रावधानों के कार्यान्वयन के लिए कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।
इसके अलावा संघ राज्य क्षेत्र जम्मू और कश्मीर ने सूचित किया है कि आरक्षण के प्रावधान का अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्गों व आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के उम्मीदवारों तक विस्तार किया गया है।