भगवान बालकृष्ण ने तृणावर्त का संहार किया था। वह राक्षस, जो तूफान की तरह आता और अपने नाम की तरह हर चीज को तृण यानी तिनके की तरह उड़ा ले जाता था। भगवान जगन्नाथ स्वामी की रथयात्रा से ठीक एक दिन पहले उदयपुर भी ऐसे ही तृणावर्त बिपरजॉय की विपत्ति के चंगुल से छूटा। 4 दिन बाद तूफान का असर खत्म होने और मौसम खुलने के साथ आयोजकों और प्रशासन ने राहत की सांस ली।
श्रद्धालुओं में भी खुशी की लहर दौड़ पड़ी कि अब तो आषाढ़ी बीज पर मंगलवार को हर साल की तरह ठाकुरजी अपने रजत रथ में सबको दर्शन देने जन-जन के बीच पधारेंगे ही पधारेंगे। साल के इस बड़े आयोजन को लेकर पूरे शहर में उत्सवी रंगत है। एक दिन पहले ही पूरा शहर हजारों केसरिया ध्वजाओं-पताकाओं से दमकने लगा। रथयात्रा जगदीश चौक, घंटाघर, बड़ा बाजार, मोचीवाड़ा, भड़भूजा घाटी, तीज का चौक, धानमंडी, झीणी रेत चौक, आरएमवी रोड, रंग निवास, भट्टीयानी चौहट्टा होते हुए जगदीश चौक लौटेगी।
बता दें, अरब सागर से उठा तूफान उदयपुर में 4 दिन से नींद उड़ाए था। तूफान से शहर और जिले में बिजली के करीब 500 खंभे गिर गए थे, जबकि लाइनों में फॉल्ट से जुड़ी करीब 1000 शिकायतें बिजली निगम को मिली थीं। दर्जनों पेड़ गिरने, झाड़ोल-गोगुंदा-कोटड़ा इलाके में कई जगह कच्चे मकान गिरने के मामले भी सामने आ चुके हैं, जबकि राजसमंद में चट्टान दरकने से एक मौत भी हो चुकी है। ये सारी तबाही बिजरजॉय तूफान के कारण ही हुई है।