जलझूलनी एकादशी के मौके पर सोमवार को शहर में विभिन्न समाजों की और से राम रेवाडी निकाली गई। शहर के सभी समाजों के ठाकुरजी के मंदिर से भगवान बेवाण में बिराजित होकर निकले।

अलग—अलग समाजों की और निकाली गई राम रेवाडी गणगौर घाट पहुंची और वहां पर भगवान को नए जल से स्नान कर करवाकर भोग धराया गया। वहीं कुछ मंदिरो के आसपास कुंआ, बावडी या फिर कुंड में नया जल होने से वहीं पर भगवान को स्नान करवाया गया। जगदीश मंदिर से निकली राम रेवाडी में हजारों की संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। मंदिर में चांदी के बने बेवाण में भगवान को विराजित किया गया। उसके बाद घाट पर ले जाकर स्नान करवाकर विशेष पूजा अर्चना की गई।
इसके बाद पुन: राम रेवाडी मंदिर में पहुंची जहां पर ठाकुरजी की महाआरती की गई। राधाष्टमी के बाद आने वाली एकादशी को राम रेवाडी निकालने की परम्परा सदियों से चली आ रही हैं। इस दिन भगवान को नए जल से स्नान करवाने की परम्परा हैं। इसलिए राम रेवाडी के रूप में ठाकुरजी को तालाब या झील किनारे ले जाया जाता हैं। वहां पर नए जल से स्नान करवाने के बाद विधिवत पूजा अर्चना की जाती हैं। इसी परम्परा के तहत सोमवार को विभिन्न समाजों की और से रामरेवाडी निकाली गई।