भील बेरी झरना राजस्थान का सबसे ऊंचा झरना है। यह अरावली पर्वतमाला में बहता है, भील बेरी झरने के नाम की उत्पत्ति स्थानीय जनजातीय भील के आधार पर मानी गई है। भील बेरी झरने की ऊंचाई 182 फीट है।
मुख्य वन संरक्षक वन्यजीव उदयपुर आर के जैन ने बताया भील बेरी इको-डेस्टिनेशन एक जल प्रपात स्थल है जो घने जंगल से घिरा हुआ है, यह राजसमंद और पाली जिलों की सीमा रेखा पर स्थित है और टॉडगढ़ रावली वन्यजीव अभयारण्य का एक हिस्सा है। भील बेरी साइट के लिए पहुॅच एनएच 8 पर कामलीघाट से 8 किमी की दूरी पर कामलीघाट-सोजत सड़क से 4 किमी लम्बे प्रकृति पथ की सफारी के माध्यम से है।
आर के जैन ने बताया कि 6 अगस्त 2023 (रविवार) को भीलबेरी जल प्रपात एवं रावली टॉडगढ़ अभयारण्य के भ्रमण हेतु दल चेतक सर्किल स्थित वन भवन से प्रातः 6:00 बजे प्रस्थान करेगा। इस वन भ्रमण के लिए इच्छुक उदयपुर वासी ट्यूर ऑपरेटर शरद अग्रवाल 7568348678 या कनिष्क कोठरी 8769799989 से बुकिंग करवा सकते हैं।
यह अरावली पर्वत श्रृंखला का सर्वाधिक उच्चतम झरना है और मानसून के दौरान सक्रिय हो जाता है। जलप्रपात के पास रॉक लिफ्टिंग लुप्तप्राय लॉन्ग बिल्ड वल्चर का स्थल है। यह संभावित समृद्ध इको-पर्यटन स्थल तम्बू सुविधा और रहने के लिए भी दो कमरों के साथ शिविर प्रदान करता है।
जैव विविधता में काफी समृद्ध यह क्षेत्र कई औषधीय पौधों के साथ घने धौंक वन से आच्छादित है। इसके अलावा इस अभयारण्य में प्रमुख रूप से स्लॉथ बीयर, तेंदुआ, जंगली सूअर, चार सींग वाले मृग, हाइना, रूडी मैन्गोज, सांभर, ग्रे जंगल फाउल, रेड स्परफाउल जैसी कई प्रजातियां पाई जाती हैं।
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