लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने कहा है कि ज्ञान को अधूरा मानना और लगातार सीखते रहने की भावना भारतीय संस्कृति का हिस्सा है, और चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में यह बात अक्षरशः लागू होती है।
इस क्षेत्र में लगातार सीखते रहने के बाद भी हमेशा यही महसूस होता है कि अभी तो सीखना बाकी है। उन्होंने कहा कि जब चिकित्सक रोगियों को देखने, पढ़ाने, स्वयं पढ़ने और शोध में निरंतर रत रहने के बाद जब आपस में चर्चा करने बैठते हैं, तब भी यही विषय होता है कि अब भी ज्ञान अधूरा है। ज्ञान प्राप्त करने की यही पिपासा भारत की जीवन संस्कृति का हिस्सा है और यही सफलता की राह प्रशस्त करती है।
वे मंगलवार को उदयपुर के गीतांजली विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को मुख्य अतिथि के तौर पर संबोधित कर रहे थे। उन्होंने नए चिकित्सकों को दीक्षांत देते हुए मानवीय संवेदना की सीख दी। उन्होंने कहा कि एक चिकित्सक के लिए मानवीय संवेदना का अनुभव अपनी कृति में निभाना अत्यंत जरूरी है। एक रोगी चिकित्सक के पास जीवन की उम्मीद लेकर आता है। उसकी भावनाएं एक चिकित्सक के प्रति बेहद गहराई और आशावादी होती हैं, इसलिए चिकित्सक का भी दायित्व है कि वह उसकी संवेदनाओं का ध्यान रखे।
उन्होंने दीक्षांत प्राप्त कर रहे विद्यार्थियों को सेवा और समर्पण का भाव जीवन में उतारने का आह्वान करते हुए कहा कि सेवा-समर्पण भारतीय संस्कृति स्वतः सिखाती है। उन्होंने कहा कि अच्छा विद्यार्थी वही है जो जीवन की कार्य संस्कृति को देश और समाज को समर्पित कर दे।
समारोह में एम्स के पूर्व निदेशक पद्मश्री डॉ. रणदीप गुलेरिया विशिष्ट अतिथि थे। गीतांजली गु्रप के चेयरमैन व गीतांजली विश्वविद्यालय के चांसलर जेपी अग्रवाल, एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर अंकित अग्रवाल, कपिल अग्रवाल, वाइस चांसलर डॉ. एफएस मेहता, रजिस्ट्रार मयूर रावल ने अतिथियों का स्वागत किया। दीक्षांत समारोह में स्नातकों, स्नातकोत्तरों, विद्यावाचस्पति विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक व उपाधियां प्रदान की गईं।