उदयपुर। शहर के हाथीपोल थाना क्षेत्र में एक व्यक्ति ने एक के खिलाफ उसे लोन दिलाकर उसमें से लाखों रूपए हड़पने का मामला दर्ज करवाया है।
पुलिस के अनुसार सोहनसिंह पुत्र मोहनसिंह मोजावत निवासी ट्रांसपोर्ट नगर प्रतापनगर ने अशोकसिंह पुत्र अमरसिंह उदावत निवासी पाली हाल निवासी श्याम विहार कॉलोनी न्यू आरटीओ के पीछे सुखेर ने मामला दर्ज करवाया कि उसके ट्रांसपोर्ट नगर प्रतापनगर में स्थित मकान का कार्य चल रहा था जिस उसे लोन की आवश्यकता होने पर अशोक सिंह उदावत से सम्पर्क किया, जो उसके सीए के जान पहचान का था।
अशोक सिंह उदावत अपने साथ में निर्माणाधीन मकान पर एक बैंक मैनेजर शरद कुमार को लेकर आया और उसने लोन के लिए मकान के दस्तावेज मांगे। अशोक सिंह उदावत ने लोन के खर्चे और फाइलिंग के लिए 20 हजार रूपए लिए और उसका एक बैंक में खाता खुलवाया, जहां पर अशोक सिंह ने उससे इस खाते के खाली चैक बैंक मेंं गारंटी के नाम पर ले लिए। अशोक सिंह उदावत ने 15 लाख रूपए बैंक से स्वीकृत कराने का कहा।
अशोक सिंह उदावत ने उससे कहा था कि पन्द्रह लाख रुपये एक मुश्त खाते में नहीं आएंगे जैसे -जैसे जरूरत होगी आपके खाते में पैसे आ जाएंगे। अशोक सिंह उदावत ने महालक्ष्मी कंस्ट्रक्शन में 6 लाख 85 हजार 679 रूपए उसके लोन खाते से ट्रांसफर करवा दिये जबकि महालक्ष्मी कंस्ट्रक्शन को वह नहीं जानता है। इस बारे में अशोक सिंह से बात की तो उसने बताया कि यह राशि उसके निजी काम के लिए लिए है, जिसे वह वापस लौटा देगा।
अशोक सिंह ने महालक्ष्मी कंस्ट्रक्शन से 3 लाख उसके खाते में जमा करवाए और शेष 3.40 लाख रूपए नकद दिए। 15 लाख रूपए का लोन जो उसने बैंक से स्वीकृत कराया था उसके स्वरूप उसने 2.20 लाख रूपए एकमुश्त एवं 1.50 लाख रूपए एकमुश्त दिए। इस प्रकार आरोप अशोक सिंह उदावत ने उसे 15 लाख का जो ऋण स्वीकृत कराया उसमें से उसने 10.10 लाख रूपए ही दिए। शेष 4.90 लाख रूपए का गबन कर दिया। इन 4.90 लाख रूपए के लिए सम्पर्क किया तो उसने कहा कि लोन में गड़बड़ हो गई इसलिये वह उसका अन्य बैंक से लोन कराने के लिए कहा।
अशोक सिंह उदावत ने कलेक्ट्री रोड़ स्थित एक अन्य बैंक की देहलीगेट शाखा लेकर गया, जहां पर उसे बैंक मैनेजर से मिलवाया जहां पर मकान के लोन की एक फाईल लगवाई और उसने कहा कि आपका 34 लाख रूपए का लोन स्वीकृत करवा देगा। चौतीस लाख रुपये का ऋण स्वीकृत होते समय अशोक सिंह ने कहा कि पुराने लोन में 15 लाख रूपए का आरटीजीएस करना है। जिस पर अशोक सिंह ने उससे आरटीजीएस की कानूनी खानापूर्ति कराते हुए 15 लाख के फार्म भरकर देहलीगेट वाले बैंक में दे दिए।
फार्म देने के पश्चात् अशोक सिंह ने उसे देहलीगेट स्थित इस बैंक में बुलाया और कहा कि सोहनसिंह आरटीजीएस का जो फॉर्म भरा है उसमें टेक्नीकल मिस्टेक हो गई है। साथ ही कहा कि 15 लाख रूपए उसे विड्रो करके नकद दे दे तो वह यह पैसा पहले वाले बैंक में जमा करवा देगा। अशोक सिंह उदावत ने उससे आरटीजीएस कराने के बावजूद भी 15 लाख रूपए नकद राशि प्राप्त कर ली। जब उसे पता चला तो उसने अशोक सिंह को मुकदमा दर्ज करवाने के लिए कहा तो अशोक सिंह ने कहा कि वह पैसा लौटा देगा।
इसी दौरान देहलीगेट ब्रांच से फोन आया कि कृष्णा रेस्टोरेन्ट के नाम से उसके 5 लाख रूपए का लोन चल रहा है और इसकी किश्तें जमा नहीं हो रही है तो उसने बैंक मेनेजर को कहा कि उसका किसी भी कृष्णा रेस्टोरेन्ट से संबंध नहीं है। बैंक मेनेजर ने उससे कहा कि अशोक सिंह ने आपका लोन स्वीकृत कराया है। इस पर उसने अशोक सिंह से तकाजा किया तो अशोक सिंह ने कहा कि यह लोन तो उसने अपने निजी उपयोग के लिए उसके नाम से लिया है व इसकी किश्ते भी वह जमा करवा देगा।
इस प्रकार अशोक सिंह ने उसके एक ही बैंक से एक की जगह दो ऋण स्वीकृत करवाकर अवैध राशि प्राप्त कर ली है। इस तरह से उसने 24 लाख 90 हजार रूपए प्राप्त कर लिए। जिसमें से उसने 9 लाख रूपए तो लौटा दिया। इसके अलावा उसने जो भी चैक दिए वह अनादरित हो गए। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।