उदयपुर। नाथद्वारा में एक ऐसा मंदिर है जहां प्रभु को लगाया जाने वाला अन्नकूट का भोग उनके सामने से आदिवासी लोग लूट कर ले जाते हैं, करीब साढ़े तीन सौ वर्षों से यह परंपरा निभाई जा रही है और इसे देखने के लिए देश विदेश से दर्शनार्थी आते हैं। पुष्टिमार्गीय वल्लभ संप्रदाय की प्रधान पीठ नाथद्वारा के श्रीनाथजी मंदिर में अन्नकूट महोत्सव 350 वर्ष पुरानी परंपरा के अनुसार धूमधाम से मनाया गया, अन्नकूट के अवसर पर प्रभु श्रीनाथजी, विट्ठलनाथजी व लालन को छप्पन भोग लगाया गया जिसे श्रीनाथजी के सन्मुख से आदिवासी समुदाय के लोग लूट कर ले गए।
बता दे कि अन्नकूट महोत्सव के दिन नाथद्वारा नगर के आसपास के ग्रामीण अंचलों से आदिवासी श्रीनाथजी मंदिर आते हैं और श्रीनाथजी के सन्मुख रखे छप्पन भोग व चावल के प्रसाद को लूट कर ले जाते हैं। अन्नकूट के अवसर पर प्रभु श्रीनाथजी, विट्ठलनाथजी व लालन को छप्पन भोग का भोग धराया जाता है व इसके साथ ही श्रीनाथजी के सामने पके हुए 100 क्विंटल चावल का पहाड़ बनाकर भोग लगाया जाता है, इस चावल व अन्य भोग सामग्रियों को आदिवासी समाज के लोग लूट कर ले जाते है।
आदिवासी लोगों ने बताया कि इस चावल का उपयोग वे अपने सगे संबंधियों में बांटने तथा औषधि के रूप में करते हैं, इस चावल को वे अपने घर में रखते हैं उनकी मान्यता है कि इससे घर मे धनधान्य बना रहता है व किसी प्रकार के कष्ट नही आते, वहीं रोग आदि होने पर इसे ग्रहण करने से ठीक हो जाते हैं।
मंदिर के युवराज चिरंजीव विशाल बावा ने बताया कि श्रीजी का अन्नकूट महोत्सव तब तक पूरा नही होता जब तक चारो वर्णों को उनका प्रसाद प्राप्त नही हो जाता, वर्षों से यह परंपरा रही है कि श्रीनाथजी के सन्मुख से आदिवासी समुदाय के लोग प्रसाद ले जाते है ये उनकी अपनी अलग भक्ति और प्रभु के प्रति प्यार हैं।
अन्नकूट उत्सव के अवसर पर रात ग्यारह बजे के करीब अन्नकूट लूट की परंपरा निभाई गई, इसमें आस-पास के ग्रामीण क्षेत्रों से आए आदिवासी समाज के स्त्री पुरुषों ने अन्नकूट के चावल व अन्य सामग्रियों को लूटा, इससे पूर्व रात्रि नो बजे श्रीजी के दर्शन खुले जो करीब दो घंटे जारी रहे। अन्नकूट लूट की इस परंपरा को देखने सैकड़ों की संख्या में विभिन्न राज्यों से आये दर्शनार्थी भी मौजूद रहे।