सामाजिक कार्यकर्ताओ ने मृतक की पत्नी ओर अन्य परिजनों को समझाया था वोट का महत्व
अभी तक शादी के बाद या पहले या फिर बीच में मतदान की खबरें आपने पढ़ी होंगी लेकिन अब हम आपको एक ऐसी कहानी बता रहे हैं जिसमें पति के दाह संस्कार कराने के एक घंटे बाद ही पत्नी ने मतदान किया। यह कोई कहानी नहीं बल्कि सच्चाई हैं ओर यह घटना बांसवाडा जिले के भूंगडा कस्बे की हैं। जहां पर एक महिला के पति की मौत के बाद उसके दाह संस्कार के करीब एक घंटे बार मृतक की पत्नी वोट देने के लिए मतदान करने पहुंच गई। इससे यह पता चलता है कि आदिवासी अंचल में वोट को लेकर कितना सम्मान और उत्साह था।
दरअसल 60 वर्षीय गणपतलाल पुत्र जीवा नाई की तबीयत लंबे समय से खराब थी। उनकी शुक्रवार सुबह मृत्यु हो गई। इसके बाद पूरा समाज उसी में लग गया। कारण गणपतलाल के दो बेटे हैं। एक कुवैत में और दूसरा लंबे समय से अलग रहता था। ऐसे में मृतक के आस पडौस ओर अन्य परिजनों ने शाम 4 बजे दाह संस्कार करवाया। इसके बाद सामाजिक कार्यकर्ता ललित कलाल और रवि कलाल मृतक परिवार से मिले। उनको मतदान का महत्व समझाया, इसके बाद मृतक की पत्नी सूरज देवी को साथ में लेकर आए और मतदान कराया है। इस दौरान समाज के कन्हैयालाल नाई, आदेश्वर नाई, भरत, शंकर के साथ ही अन्य 50 लोगों ने एक साथ मतदान किया हैं। सभी लोगों ने शाम 5 बजे अपने मत का प्रयोग करते हुए देश की सबसे बड़ी पंचायत के गठन में अपनी आहूति दी।