उदयपुर। मेवाड़ के 77 वें महाराणा के रूप में विश्वराजसिंह मेवाड़ का 25 नवंबर सोमवार को चित्तौड़ दुर्ग के फतहप्रकाश महल में राजतिलक होगा। महाराणा विक्रमादित्य के राजतिलक के 493 वर्ष बाद चित्तौड़ दुर्ग पर मेवाड़ के महाराणा की गद्दी पर बैठने की परंपरा का आयोजन होगा। इसको लेकर तैयारियां शुरू हो चुकी हैं और मेवाड़ के हजारों लोग राजतिलक के साक्षी बनेंगे।
मेवाड़ राज वंश के ये 77 वें महाराणा विश्वराज सिंह अपने स्वर्गीय पिता महाराणा महेन्द्र सिंह मेवाड व उनकी माता निरुपमा कुमारी के 18 मई 1969 को महाराणा प्रताप जयन्ती के दिन जन्मे। आपने सेंट जेवियर्स कॉलेज मुंबई से अर्थशास्त्र में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। वे अभी नाथद्वारा से विधायक है और इनकी पत्नी महारानी महिमा कुमारी जी मेवाड़ राजसमंद से सांसद है।
राजतिलक की ऐसी निभाई जायेगी परंपरा
मेवाड़ के महाराणा की गद्दी पर बैठने के दस्तुर के लिए राजतिलक का परंपरागत उत्सव 25 नवंबर को सुबह 10 बजे चित्तौड़ दुर्ग के फतहप्रकाश महल में आयोजित होगा। राजतिलक परम्परा अनुसार सलूम्बर रावत देवव्रत सिंह राजतिलक की पंरपरा निभायेंगे। उसके बाद उमराव, बत्तीसा व अन्य सरदार व सभी समाजों के प्रमुख लोग नज़राना करेंगे।
कार्यक्रम के बाद रैली के रुप में उदयपुर सिटी पेलेस में धूणी के दर्शन करेंगे। यहां से एकलिंगनाथ मन्दिर पहुंचेंगे। जहां पर भगवान एकलिंगनाथ के आशीर्वाद से पण्डितों द्वारा महाराणा का शोक भंग करवाकर रंग बदला जाता है। जिसके बाद महाराणा सफेद के बजाएं रंग वाली पाग पहन सकें। इसके बाद शाम को समोर बाग पैलेस में रंग दस्तूर कार्यक्रम होगा, जिसमें महाराणा अपने परिवारजनों व सभी उमरावों व बत्तीसा को रंग सौंपते हैं ताकि सभी ठिकानेदार रंग वाली मेवाड़ी पाग पहन सकें।
“श्री विश्वराज सिंह जी “
मेवाड़ के सभी समाजों के हजारों लोग बनेंगे साक्षी
करीब 40 वर्ष बाद मेवाड़ की राजगद्दी के लिए महाराणा के राजतिलक की पंरपरा का निर्वहन होगा। ये उत्सव मेवाड़ के सभी समाजजनों व साधुसंतों की उपस्थिति में आयोजित होगा। जिसमें मेवाड़ के सभी ठिकानेदार पारंपरिक वेशभुषा में शामिल होंगे तो वहीं विभिन्न राजपरिवारों के मुखिया भी इस कार्यक्रम में शरीक होंगे। इसके अलावा राजनैतिक, सांस्कृतिक, शिक्षा आदि क्षेत्र से जुड़ी शख्सियतें भी कार्यक्रम में शामिल होगी।