प्रदेश की भजनलाल सरकार को ड्रामा पार्टी करार देते हुए राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि प्रदेश में हालात ऐसे हो गए है कि पर्ची सरकार ब्यूरोक्रेसी को नहीं संभाल पा रही है। सरकार के मंत्री मुख्यमंत्री की बात नहीं सुनते है और मुख्यमंत्री की बात ब्यूरोक्रेसी नहीं सुनती है। लोकतंत्र में जनप्रतिनिधि ही सरकार चलाते है लेकिन यहां पर ऐसा लग रहा है कि ब्यूरोक्रेसी पूरी सरकार को चला रही है। इसलिए कैबिनेट मंत्री की भी कोई नहीं सुनता है। वे यहीं पर नहीं रूके डोटासरा ने भाजपा पर हमला बोलते हुए कहा कि डॉ. किरोडी लाल मीणा को पार्टी चुप नहीं करा सकी।

केवल और केवल अनुशासनहीनता का नोटिस देकर इतिश्री कर ली और उसका आजतक कोई असर नहीं हुआ है। प्रदेश की सरकार हम मुद्दे पर नाकाम रहीं है चाहे अवैध बजरी खनन का हो या पुलिस महकमें की मांग का हो। पुलिस को होली नहीं खेलने के साथ अनशन जैसे कदम उठाने पड़ रहे है। सरकार चाहे तो सभी मसले बैठकर हल किए जा सकते है। डोटासरा ने मंगलवार को उदयपुर प्रवास के दौरान सर्किट हाउस में प्रेस कांफ्रेस के दौरान अपने चित परिचित अंदाज में सरकार पर निशाना साधा। डोटासरा ने कहा कि प्रदेश की जनता सब देख रही है और समय आने पर भाजपा को अच्छा खासा सबक सिखा देगी।
कांग्रेस का चोला पहनकर भाजपा के लिए काम करने वाले कार्यकर्ताओं की नहीं है जरूरत : डोटासरा
पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा से जब कांग्रेस का चोला पहनकर भाजपा के लिए काम करने वाले कार्यकर्ताओं को लेकर सवाल किया तो उन्होंने भी कहा कि ऐसे कार्यकर्ताओं की पार्टी को जरूरत नहीं है। कांग्रेस पार्टी उन कार्यकर्ताओं की पार्टी है जो कि पार्टी के लिए समर्पित है और कांग्रेस आइड्योलॉजी को ध्यान में रखकर काम करते है। चुनाव से पहले कांग्रेस के साथ रहने और चुनाव के समय पार्षद से लगाकर सांसद तक चुनाव लड़ने के लिए कांग्रेस कार्यकर्ता जो कि तुंरत पार्टी बदल लेते है वैसे कार्यकर्ता अब कांग्रेस पार्टी में नहीं रहेगें। उन्हें पार्टी से अलविदा कहना पड़ेगा।
किरोड़ी आ टपके, अब पुलिस की मांग पूरी नहीं होगी
पुलिस की हड़ताल पर कहा- इस सरकार में पुलिस और अन्य हर वर्ग के साथ नाइंसाफी हुई है। पुलिस के लोगों को अपनी मांग रखनी चाहिए। सीएम को बड़ा दिल रखकर उनकी मांगों को सुनना चाहिए। डोटासरा बोले- किरोड़ी लाल मीणा इसमें टपक गए। ऐसे में अब पुलिस की छोटी-मोटी मांग भी नहीं मानी जाएगी। एसआई परीक्षा भर्ती का फैसला भी हो जाता लेकिन अटका दिया।