उदयपुर। नगर निगम आने वाले दिनों में एक बड़ी कार्यवाही करने जा रहा है। देहलीगेट चौराहे पर एक धार्मिक स्थल के चारों तरफ अवैध रूप से बनाई गई 42 दुकानों को सीज करने की तैयारी की जा रही है।
इसके लिए निगम ने इन दुकानदारों को नोटिस जारी कर दस्तावेज मांगे और दस्तावेज नहीं देने की स्थिति में या तो दुकानों को हटाया जाएगा या दुकानों को सीज कर दी जाएगी। नोटिस मिलने के बाद कुृछ दुकानदार नगर निगम महापौर जीएस टांक के पास गए और वहां इन दुकानों को नहीं हटाने को लेकर टांक से बहस हो गई।
टांक ने दुकानदारों को चार-पांच दिनों का समय दिया है।
जानकारी के अनुसार देहलीगेट चौराहे पर एक धर्म स्थल के चारों तरफ अवैध रूप से दुकानें बना रखी है।
वर्षों पूर्व इन दुकानों को अवैध रूप से बनाया गया है और धीरे-धीरे किराए पर देते गए और यह एक बाजार के रूप में विकसित हो गया। यहां पर ज्यादातर ई-मित्र की दुकानें है, जो लम्बे समय से चल रही है। इनके पास किसी तरह के दस्तावेज नहीं है, पर ये व्यवसाय कर रहे है।
नगर निगम ने गुरूवार को इस धर्म स्थल के चारों तरफ 42 दुकानों को नोटिस देकर अपने दस्तावेज पेश करने के लिए कहा ताकी कार्यवाही से पहले दस्तावेजों की जांच कर ली जाए। जानकारी के अनुसार वर्तमान में जो यहां पर दुकानदारी कर रहे है कि उनके पास किसी तरह का कोई दस्तावेज नहीं है।
ऐसे मेें वे अपनी इन दुकानों के लिए कुछ भी नहीं कर पा रहे है। इधर महापौर जीएस टांक ने इन सभी दुकानदारों को चार दिनों का समय दिया है कि या तो दस्तावेज पेश करें या दुकानों में भरा सामान बाहर निकाल लें। इसके बाद इन दुकानों को या तो सीज किया जाएगा या हटाया जाएगा।
प्रार्थना करने के लिए दी है जमीन
यहां पर यह जमीन वर्षो पूर्व राज्य सरकार ने इस धर्म स्थल पर प्रार्थना करने के लिए दी थी पर धीरे-धीरे यहां पर दुकानें बनी और कब्जा होता रहा। यह कब्जा आगे से आगे बढ़ता रहा।
30-40 साल पुरानी दुकानें, सड़क रहती है जाम
जानकारी के अनुसार ये दुकानें करीब 30 से 40 साल पुरानी है। यहां पर ज्यादातर दुकानों पर ई-मित्र की है, जहां पर दिनभर भीड़ लगी रहती है। जिस कारण से दुकानों के बाहर काफी लोगों के वाहन खड़े रहते है और यातायात बाधित होता रहता है।
महापौर से हुई जमकर बहस
जानकारी के अनुसार यहां के दुकानदार गुरूवार को महापौर जीएस टांक से मिलने के लिए गए थे और दुकानों को नहीं हटाने की मांग की थी।
इस दौरान महापौर टांक और दुकानदारों के बीच बहस हो गई। इस दौरान महापौर टांक ने स्पष्ट रूप से कहा कि जिसके पास दस्तावेज हो तो वे पेश कर दे अन्यथा लिखकर दे दे कि वे यहां पर किराएदार है और जिसे किराया दे रहे है उसका नाम लिखे।
अलग-अलग लोग वसूल रहे हजारों रूपए है किराया
इन 42 दुकानों के अलग-अलग मालिक बने हुए है और उन्होंने इन दुकानों को किराए पर दिया हुआ है। इन दुकानों के एवज में हजारों रूपए किराया वसूला जा रहा है, जो सीधा उनकी जेब में जा रहा है।