उदयपुर। यूँ तो डेस्टिनेशन वेडिंग के लिए झीलों की नगरी सबकी पहली पसंद है, पर नारायण सेवा संस्थान उदयपुर में दिव्यांग एवं निर्धन बन्धु- बहिनों के घर बसाने का पुनित सफल प्रयास करता आ रहा है। नारायण सेवा संस्थान द्वारा दिव्यांगजन पुनर्वास योजना के तहत आगामी 2-3 सितंबर को सेवा महातीर्थ, बड़ी परिसर में 40 वां निःशुल्क दिव्यांग एवं निर्धन सामूहिक विवाह समारोह का आयोजन होगा। जिसमें राजस्थान सहित सात राज्यों के 54 जोड़े परिणय सूत्र में बंधकर गृहस्थ जीवन की शुरुआत करेंगे।
संस्थान के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रशान्त अग्रवाल ने बताया कि संस्थान ने अब तक 39 सामूहिक विवाह आयोजित किए है। जिनमें 2252 दिव्यांग एवं निर्धन युगलों का सुखी गृहस्थ जीवन बसा है। हर वर्ष की भांति इस वर्ष संस्थान का दूसरा सामूहिक विवाह बड़े ही धूमधाम से हजारों लोगों की उपस्थिति में सितम्बर माह की 2-3 तारीख को 54 जोड़ों की ज़िन्दगी में खुशियाँ घोलेगा। उन्होंने कहा कि यह दिव्यांग विवाह दो अधूरे जीवन को पूर्णता प्रदान करता है। इनमें ऐसे जोड़े है, जो कुछ तो हाथ-पैरों से दिव्यांग है, कोई एक आंख से कोई एक पैर -एक हाथ से विकृत तो किसी का वर नेत्रहीन और वधु पैरों से दिव्यांग, कोई जोड़ा व्हीलचेयर पर है,तो कुछ वैशाखी के सहारे चलते है। कुछ जोड़े चारो हाथ -पैरों से घिसट -घिसटकर चलने वाले है। इस तरह के पारम्परिक प्रयास से दिव्यांगजनों की ज़िन्दगी में एक सकारात्मक परिवर्तन लाने का कुछ प्रयास संस्थान कर रहा है।
विवाह कार्यक्रम की जानकारी देते हुए गंगोत्री विभाग प्रमुख रजत गौड़ ने बताया कि 2 सितंबर को शुभ मुहूर्त में संस्थान संस्थापक चेयरमैन पद्मश्री कैलाश जी ‘मानव’ व कमला देवी जी के सानिध्य में गणपति स्थापना, हल्दी रस्म व विवाह के पारम्परिक गीत-नृत्य के बीच मेहंदी रस्म की अदायगी होगी। इस दौरान उन जोड़ों को सम्मानित किया जाएगा, जिन्होंने पिछले विवाहों में फेरे लेकर घर-संसार बसाया और वे खुशहाल हैं.।
इस दौरान सामूहिक विवाह का पोस्टर का विमोचन किया गया,विष्णु शर्मा, भगवान प्रसाद गौड़ मौजूद रहे। भारतभर से 1500 से अधिक अतिथि आएंगे :- इस सामूहिक विवाह में दिल्ली, अहमदाबाद, गुजरात, जयपुर, लखनऊ, रायपुर, कोलकाता, रांची, चंडीगढ़, भोपाल, इंदौर, मुंबई, हैदराबाद, शिमला आदि शहरों से 1500 से अधिक घराती -बराती बन समारोह में भाग लेंगे।
कन्यादानियों का होगा सम्मान :- इन 54 जोड़ो के धर्म माता-पिता बन 108 परिवारों का सपना साकार करने वाले संस्थान के सदस्यों का संस्थान परिवार द्वारा 2 सितंबर को प्रातः 11 बजे सम्मान समारोह में राजस्थानी परंपरा से अभिनंदन किया जाएगा।