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लिंक, क्लिक और कंगाल….क्या अगला नंबर आपका? हैकर उड़ा रहे लाखों रुपए

सरकार का फोकस ऑनलाइन लेन-देन पर है। यही वजह है कि चाय की थड़ी से लेकर कपड़े, वाहन, ज्वैलरी शोरूम और मॉल्स तक गूगल-पे, पे-टीएम, फोन-पे समेत कई तरह के ऑनलाइन पेमेंट एप्स के जरिए भुगतान का चलन बढ़ा है।

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आम लोगों से लेकर व्यापारी-कारोबारी, कर्मचारी-अधिकारी, छात्र-महिलाएं आदि इन एप्स का इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन सुविधा के साथ साइबर फ्रॉड की परेशानी भी बढ़ी है। अकेले उदयपुर में हर साल ऐसी 1000 धोखाधड़ी लोगों से हो रही है।

चौंकाने वाली बात ये भी है कि यहां 5 साल में 5000 फ्रॉड हो चुके हैं। हालांकि इनमें 5 करोड़ रुपए की रिकवरी भी की गई है, लेकिन राहत का यह आंकड़ा जालसाजी के मुकाबले बहुत छोटा है। साल 2023 में जून तक लिंक पर क्लिक करवाकर बैंक खातों से रुपए उड़ाने के 125, जबकि ओटीपी शेयर करवाकर ऑनलाइन कैश ट्रांसफर के 175 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं।

फेक डीपी अकाउंट के मामलों की तो गिनती ही नहीं है, क्योंकि ऐसे दर्जनों केस तो पुलिस तक पहुंचते भी नहीं। हैरत इस बात की भी कम नहीं है कि साइबर ठगों के नित नए पैंतरों में पढ़े-लिखे लोग ज्यादा फंस रहे हैं। इनमें सरकारी कर्मचारी और अधिकारी भी शामिल हैं, जो छोटे-छोटे लालच में लाखों रुपए गंवा चुके हैं।

साइबर एक्सपर्ट के पास इन दिनों जो सबसे ज्यादा केस आ रहे वे ऑनलाइन ट्रेडिंग स्कैम, फिशिंग अटैक, सिम क्लोनिंग, फेक डीपी अकाउंट से जुड़े हैं। ये सब कैसे हो रहा? क्या हमारे ऑनलाइन लेन-देन सुरक्षित नहीं? हम कैसे बच सकते हैं?

स्कैम कैसे-कैसे : कम समय में पैसा दोगुना करने प्रस्ताव मिलें तो हो जाएं सावधान

ऑनलाइन ट्रेडिंग स्कैम : कमीशन का लालच देश के 8 से 10 हजार उद्यमी-व्यापारी इस जाल में फंसकर 60 करोड़ रुपए से ज्यादा गंवा चुके हैं। इसमें नेटवर्क जोड़कर कमीशन कमाने का, ट्रेड के लिए किसी को रेफर करके पैसा दोगुना करने या कुछ समय के लिए पैसा लगाकर उसे डबल करने का झांसा दिया जाता है।

सोशल ट्रेडिंग में सबसे ज्यादा ठगी “लाइक” के नाम पर होती है। इसमें ठग किसी भी वेबसाइट पर एड क्लिक करने या विजिट करने पर पैसा देने का लालच देते हैं। अकाउंट खुलवाने के नाम पर अलग-अलग पैकेज के हिसाब से अमाउंट लिया जाता है। लालच ये कि यह अमाउंट तय समय में डबल हो जाएगा। विश्वास जीतने के लिए ठग कुछ दिन तक प्रॉफिट भी देते हैं। जैसे ही आपने बड़ी रकम लगाई, उससे हाथ धो बैठेंगे।

लिंक पर क्लिक : चुरा लेते हैं पर्सनल डिटेल नाम की तरह यह ठीक वैसा ही है, जैसे मछेरा जाल या कांटा डालता है। इसमें आम लोग मछली की तरह होते हैं। यूजर के बैंक अकाउंट इन्फॉर्मेशन, सोशल मीडिया अकाउंट लॉगिन इनफार्मेशन, क्रेडिट या डेबिट कार्ड डिटेल्स चुरा ली जाती है। फिर यूजर को ईमेल या मैसेज भेजा जाता है, जिसमें एक लिंक होता है। इस पर क्लिक करते ही आपक बैंक अकाउंट खाली कर दिया जाता है।

आपके क्रेडिट या डेबिट कार्ड से पैसे निकालने, ट्रांसफर करने जैसी झांसेबाजी भी हो सकती है। इसका पता तब लगता है, जब आपके खाते से लेन-देन हो और मोबाइल पर इसका मैसेज मिले। तकनीकी परेशानी से यदि मैसेज नहीं मिले तो सिर्फ अकाउंट की डिटेल निकलवाने पर यह सच आपके सामने आएगा।

सिम क्लोनिंग : आपको भी पता नहीं चलेगा हुआ क्या सिम स्वाइप को आसान भाषा में सिम की क्लोनिंग करना भी कह सकते हैं। इसमें हैकर्स अपने शिकार के नंबर से दूसरे सिम कार्ड को रजिस्टर करवा लेते हैं। इसका फायदा क्लोन यानी हूबहू नंबर वाले सिम कार्ड पर वन टाइन पासवर्ड यानी ओटीपी मंगाने के लिए किया जाता है।

चूंकि फंड ट्रांसफर के लिए ओटीपी जरूरी है, इसलिए जालसाज अपने खाते से पैसा उड़ा लेते हैं। कई बार तो यूजर को भी इसका पता तब लगा है, जब वह लाखों रुपए गंवा चुका होता है। शहर में कई पेंशन धारकों के साथ ऐसा हो भी चुका है। चूंकि बुजुर्ग टेक्नोलॉजी फ्रेंडली नहीं होते, इसलिए धोखाधड़ी का पता उन्हें हफ्तों-महीनों बाद पता लगता है।

फेक डीपी अकाउंट : कई नेताओं के नाम से मांग चुके रुपए तकनीक के साथ साइबर अपराधी भी पैंतरे अपडेट करते रहते हैं। उदयपुर में पिछले छह महीने के दौरान फेक डीपी अकाउंट के मामले बेतहाशा बढ़े हैं। साल की शुरुआत में झांसेबाजों ने बेदला क्षेत्र के महिला का फेक वॉट्सएप अकाउंट बनाया। फिर उसका मोबाइल हैक किया और वॉट्सएप डीपी पर उसका फोटो लगाकर कई लोगों से रुपए मांगे।

झाड़ोल-गोगुंदा क्षेत्र में कुछ नेताओं के साथ भी ऐसा ही हुआ। एक जगह मामले में तो किसी परिचित ने कुछ हजार रुपए झांसेबाज के बताए खाते में ट्रांसफर भी कर दिए। साइबर ठग लोगों के फेसबुक और इंस्टाग्राम से फोटो ले लेते हैं या फिर जीमेल अकाउंट हैक कर लेते हैं। मामले सामने आने पर कई पीड़ितों को अपने असली अकाउंट पर अलर्ट लगाने पड़े हैं।

साइबर एक्सपर्ट चंदेल चला रहे इस रोग का शिफाखाना

साइबर एक्सपर्ट श्याम चंदेल उदयपुर ही नहीं, बल्कि देश भर के ऐसे केस सुलझाते हैं। वह 5-6 साल के दौरान पूरे देश में 15 करोड़ रुपए तक साइबर फ्रॉड के केस सॉल्व करवा चुके। इनमें 2000 से ज्यादा इंस्टाग्राम और फेसबुक के फेक अकाउंट डिलीट करवाए हैं। वहीं 3000 से ज्यादा हैक फेसबुक और इंस्टाग्राम आईडी को रिकवर करवाया है।

चंदेल 18 से ज्यादा एकेडमियों को ट्रेनिंग भी देते हैं। इनमें पुलिस-आर्मी ट्रेनिंग, सीबीआई, सीआरपीएफ, बीपीआरडी, नारकोटिक्स आदि विभाग भी शामिल हैं। प्रदेश के एकमात्र साइबर एक्सपर्ट चंदेल ने देश में 1 लाख से ज्यादा लोगों को ट्रेनिंग दी है। वह बताते हैं कि इन दिनों ठगों का दायरा बढ़ता जा रहा हैं। साइबर क्राइम के केस रोज आते हैं। सबसे ज्यादा शिकार नौजवान हो रहे हैं, जो पार्ट टाइम या अच्छे जॉब के लालच में लिंक पर क्लिक कर देते हैं।

ठगों के लिए पढ़े-लिखों को ठगना आसान हो गया है, क्योंकि पैसों के लालच में बड़े-बड़े अधिकारी भी इस जाल में फंस जाते हैं। उन्होंने बताया कि खुद को इस तरह के साइबर अपराध से सुरक्षित रखने के लिए आप हमेशा इस बात का ध्यान रखें। किसी भी अनजान व्यक्ति को अपने पर्सनल डिटेल्स जैसे बैंक अकाउंट नंबर, यूपीआई पिन, नेट बैंकिंग पासवर्ड, सीवीवी नंबर आदि की जानकारी न दें। इसके अलावा किसी तरह के वॉट्सएप मैसेज, ईमेल लिंक पर बिना सोचे-समझे क्लिक करने से बचें।

किसी भी लिंक पर आपने ऊपर दी गई निजी जानकारी भूलकर भी न फिल करें। किसी को ओटीपी शेयर न करें, बैंक संबंधी डिटेल नहीं बताएं। किसी जॉब ऑफर या इनाम के झांसे में आने से बचे। फिजूल के एप डाउनलोड करने से बचे। यदि आप फिर भी साइबर अपराध का शिकार हो जाते है किसी प्रकार की सहायता चाहते हैं तो 0294-2940166 पर एक्सपर्ट श्याम चंदेल से संपर्क करके सलाह ले सकते हैं।

ये करेंगे तो बचा रहेगा आपका पैसा ब्राउजर को अपडेट रखें : तय समय अंतराल पर अपने ब्राउजर को अपडेट करते रहें। हर ब्राउजर के सिक्योरिटी इंजीनियर बेहतर सुरक्षा देने के लिए नई-नई चीजें इसमें जोड़ते रहते हैं जो आपको अपडेट करने पर ही मिलेंगे।

पासवर्ड रखें मजबूत : गूगल का पासवर्ड मैनेजर इसमें आपकी मदद कर सकता है। यह यूनिक पासवर्ड सजेस्ट करने के साथ उन्हें सेव भी कर लेता है। आपको जिस डिवाइस पर जरूरत होगी, गूगल इन्हें ऑटोफिल करेगा। ये पासवर्ड काफी जटिल होते हैं।

उल्टी-सीधी चीजें डाउनलोड न करें : अगर आप कोई ऐसी चीज डाउनलोड कर रहे हैं, जिससे आपकी साइबर सुरक्षा को खतरा है तो गूगल इसकी चेतावनी देता है। ऐसे एप्स या कंटेंट डाउनलोड करने से आपके कम्प्यूटर या मोबाइल में वायरस आ सकता है।

बढ़ी हुई सिक्योरिटी प्रोटेक्शन के साथ इस्तेमाल करें : क्रोम आपको एनहैंस्ड सेफ ब्राउजिंग प्रोटेक्शन का विकल्प देता है। इसे क्रोम की सेटिंग में जाकर ऑन कर सकते हैं। ये आपका रियल टाइम डाटा सेफ ब्राउजिंग के साथ शेयर करता है और किसी भी खतरनाक वेबसाइट और डाउनलोड से बचाता है।

टू स्टेप वैरिफिकेशन : लॉग-इन को अधिक सुरक्षित बनाने के लिए आपके फोन का भी सहारा लिया जाता है। जब आप कहीं लॉग-इन करते हैं तो आपके फोन पर भी एक कोड जाता है, जिसे दर्ज करने के बाद ही आपको अकाउंट में एंट्री मिल पाती है। ये पासवर्ड स्कैम से बचाता है। -जानना जरूरी है- कोई भी बैंक ग्राहक से पर्सनल डिटेल नहीं मांगता स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, पंजाब नेशनल सहित पब्लिक और प्राइवेट सेक्टर के सभी बैंक प्रबंधनों का कहना है कि वे कभी भी अपने ग्राहकों से उनके खाते से जुड़ी कोई डिटेल या पासवर्ड वगैरह नहीं पूछते।

डेबिट या क्रेडिट कार्ड भी गोपनीय तरीके से भेजे जाते हैं, जिनके पासवर्ड एक निश्चित प्रक्रिया के तहत पहले ग्राहक बनाता, फिर अपनी सुविधा से बदल सकता है। यही व्यवस्था ग्राहकों के ऑनलाइन लेन-देन में भी रहती है।

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