आषाढ़ी बीज पर मंगलवार को शहरवासी धन्य हुए। जिन भगवान जगदीश के दर्शन करने शहर समेत पूरा मेवाड़ उनके मंदिर में जाता है, उन्होंने निज धाम से बाहर आकर सबको दर्शन दिए। वैसे ही, जैसे एक राजा अपनी प्रजा के हाल-चाल जानने आता है। चंवर डुलाते, रजत दंड थामे और रथ के आगे पथ बुहारते सेवादारों के अलावा लवाजमे में 21 घोड़े और 2 दर्जन से ज्यादा झांकियां भी शामिल थीं। इन झांकियों में कहीं मेवाड़ तो कहीं इसके लोक रंग दिखे।
रथयात्रा की शुरुआत से पहले जगदीश मंदिर परिसर में लकड़ी के कलात्मक रथ में ठाकुरजी को भ्रमण कराया गया। गणेश देवरी, सूर्य देवरी, अंबिका देवरी और शिव देवरी मंदिर की परिक्रमा की गई। इसके बाद ठाकुरजी की काष्ठ प्रतिमा को रजत रथ में विराजित किया गया। सीढिय़ों से उतारते समय पूरा चौक भगवान जगन्नाथ स्वामी के जयकारों से गूंज उठा।
यह वह क्षण था, जब जगदीश चौक में तिल धरने की भी जगह नहीं थी। जैसे ही ठाकुरजी को रथ में विराजित किया गया, एक बार फिर मानो पूरी वॉल सिटी ही भगवान जगदीश के जयघोष से गूंज उठी। पूरे यात्रा मार्ग में पग-पग पर पुलिस का भारी जाब्ता तैनात रहा। विभाग समेत प्रशासनिक अधिकारी भी इस पर नजरें जमाए रहे।
करीब 8 घंटे नगर भ्रमण के बाद यात्रा पूरी हुई और करीब 11 बजे भगवान जगदीश भी वापस निज धाम पधारे। इससे पहले सोमवार को इसी चौक में भजन संध्या हुई। गणेश स्तुति से शुरुआत के बाद गायक आशा वैष्णव ने मेवाड़ी-हिंदी भजनों से भक्ति रस बरसाया। भक्ति संध्या में हजारों श्रद्धालु शामिल हुए।