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उदयपुर में इस दुकान पर नई हाई टेक तकनीक की मशीन से निकाला जाता है ताज़ा गन्ने का रस, मशीन में आईस कम्प्रेशन भी मौजूद

गर्मी का मौसम ऊपर से गर्म हवा ऐसे में ज़हन में ख्याल आता है तो सिर्फ गन्ने का रस, गन्ने का रस जितना दिल को लुभाता है, उतना ही सेहत के लिए फायदेमंद हैं। इन दिनों शहर में गर्मी का तापमान तेज है। इस भीषण गर्मी से राहत पाने के लिए आप भी शहर में गन्ने की दुकान खोज रहे है तो यह खबर आपके लिए बेहद अहम हैं। हम आपको बताएंगे की शहर में कहां-कहां गन्ने का रस मिलता हैं और वह दुकान शहर में कब से स्थापित हैं।   शहर में सड़को और चौराहों पर गन्ने की जूस की चर्खिया चलना शुरु हो गई हैं। लेकसिटी में एक दुकान ऐसी भी है जहां आटोमैटिक मशीन द्वारा गन्ने का रस निकाला जा रहा हैं।

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1. श्री गतोड़ जी

आपने गन्ने के रस की मोटर से चलने वाली मशीने तो बहुत देखी होगी लेकिन क्या आपने गन्ने के रस की हाई टेक मशीन देखी है? अगर नहीं तो हम आपको बताते हैं सी ए सर्कल सेक्टर 14 स्थित श्री गतोड़ जी रस भण्डार के बारे में जहां आपको गन्ने के रस की हाईटेक मशीन देखने को मिलेगी। इस रस भण्डार की शुरुआत 2 माह पहले ही दिलीप जैन और उनकी पत्नी मीना जैन ने की। दिलीप जैन ने बताया कि उन्होंने 1 साल रिसर्च करने के बाद ये निर्णय लिया कि वह एक हाई-टेक मशीन का उपयोग करेंगे। इस हाई-टेक मशीन की खास बात यह है कि यह वन टाइम कम्प्रेशन में ही गन्ने का रस निकाल देती है वो भी पूरी स्वच्छता के साथ। साथ ही इसमें किसी भी तरह की मिलावट नहीं की जाती है।

इसके अलावा इसमें अलग से बर्फ डालने की जरूरत नही पड़ती है क्योंकि इसमें पहले से ही आईस कम्प्रेशन है। दुकान संचालक दिलीप जैन का कहना है कि इस मशीन की कीमत 2.50 लाख है, लेकिन रस की कीमत बाकि जगहों जैसे 15, 20 और 30 रुपए प्रति गिलास है। वह बताते है कि इस मशीन से रस निकालने में बहुत कम समय लगता है जिससे ग्राहकों को ज्यादा इन्तजार नहीं करना पड़ता है। मीना जैन ने बताया कि उनका ये रस भण्डार सुबह 9:30 से रात 11:00 बजे तक खुला रहता है और उनकी ये योजना है कि वह इसे 12 महीने चालू रखेंगे। दुकान के बाहर ग्राहको के लिए छाया और बैठने का भी पूरा इन्तजाम है।

2. .विद्यार्थी रस भण्ड़ार

शहर के दिल्ली गेट पर स्थित विद्यार्थी रस भण्ड़ार का गन्ने का रस उदयपुर में काफी लोकप्रिय है। विद्यार्थी रस भण्ड़ार के मालिक दुर्गेश कुमावत ने बताया की इस रस भण्ड़ार की स्थापना उनके पिता भंवरलाल कुमावत द्वारा सन् 1966 में हुई थी। उनका कहना है कि उनके पिता ने जब इस रस भण्ड़ार की शुरुआत की तब वह एक विद्यार्थी थे जिस कारण उनके स्कुल के प्रिंसिपल उन्हें विद्यार्थी रस वाला कहा करते थे। तभी से उनकी दुकान का नाम विद्यार्थी रस भण्ड़ार हो गया।

दुर्गेश कुमावत ने बताया कि जब इस रस भण्डार की शुरुआत हुई तब उनके पिता एक गिलास गन्ने का रस 25 पैसे में बेचा करते थे। अब इस की कीमत बढ़ाकर 15 या 20 रुपये प्रति की गई है। उनका कहना है कि यह रस भण्ड़ार 12 महिने ग्राहकों के लिए खुला रहता है। रोज़ाना औसतन 1500-1800 ग्राहक गन्ने के ताजा रस का लुफ्त उठाने आते हैं। विद्यार्थी रस भण्ड़ार के मालिक दुर्गेश कुमावत बताते हैं कि वह बदलते मौसम के हिसाब से गन्ने के रस का तापमान रखते है ताकि ग्राहक बीमार ना पड़े। उनका कहना है कि वह 7 साल तक के बच्चों और गरीबों को स्पेशल गिलास मुफ्त में उपलब्ध करवाते है। विद्यार्थी रस भण्ड़ार के बाहर टेन्ट की सुविधा भी उपलब्ध है ताकि ग्राहकों कोई परेशानी ना हो।

समय- सुबह 8.30 बजे से रात 10:30 बजे तक

3. माँ नागणेच्य रस भण्डार

उदयपुर के प्रमुख पर्यटक स्थल में से एक सहेलियों की बाड़ी स्थित माँ नागणेच्य रस भण्ड़ार 40 साल पुराना है। माँ नागणेच्य रस भण्ड़ार के संचालक छत्तर सिंह बताते है कि इसकी शुरुआत उनके बड़े भाई भंवर सिंह ने की थी। दुकान पर्यटक स्थल के पास होने के कारण उनके अहम ग्राहक पर्यटक ही होते है। दूसरे गन्ने के रस भण्डारोे का प्रमुख सीज़न गर्मियों का होता है लेकिन माँ नागणेच्य रस भण्डार दुकान  में सर्दियों में गन्ने का रस ज्यादा तादाद में बिकता हैं।

ऐसा इसलिए क्योंकि पर्यटकों गर्मी के सीजन में घूमने कम आते हैं।  छत्तर सिंह का कहना है कि शहरवासियों को लगता है कि दूकान पर्यटक स्थल के पास होने के कारण वह रस महंगा होगा मगर ऐसा नहीं है बल्कि हम बाज़ार की तुलना में सस्ता बेचते है। वह गन्ने के रस में अदरक और पुदीने का भी प्रयोग करते है। माँ नागणेच्य रस भण्ड़ार के संचालक बताते है कि जब सालों पहले गन्ने के रस भण्डार हुई तब 50 पैसे प्रति गिलास था जो अब बढ़कर 10 और 20 रुपये प्रति गिलास हो गया है।

समय- सुबह 7:00 बजे से रात 9:00 बजे तक

 

4. देवाली स्थित माँ आशापुरा रस भण्डार

माँ आशापुरा रस भण्डार के संचालक भैरू सिंह परमार ने इस रस भण्डार की शुरुआत 2009 में उनके बड़े भाई रूप सिंह ने की थी। जिनके बाद भैरू सिंह यह रस भण्डार संचालन कर रहे है। उन्होंने बताया कि बारिश के दो महीने छोड़कर उनका यह रस भण्डार पूरे साल खुला रहता है।  वह मंडी से खरीदा हुआ अलग प्रकार के मसाले का प्रयोग करते है। शुरुआत में उन्होंने गन्ने का रस 5 और 10 रुपये में बेचा था, अब इसकी कीमत 20 और 30 रुपये है।

5. दातार रस भण्डार

30 सालो से गांधी ग्राउंड के बाहर स्थित दातार रस भण्डार की पीढ़ी दर पीढ़ी चलती आ रही हैं।  इस दुकान की स्थापना दुकान संचालक के दादा ऊंकार डिडवानिया ने की थी। उनके बाद इस रस भण्डार को उनके पिता हिम्मत डिडवानिया ने सम्भाला था और दुकान संचालक विष्णु डिडवानिया सम्भाल रहे है। विष्णु डिडवानिया का कहना है कि इतने सालों से उनके गन्ने के रस का स्वाद वैसा का वैसा ही है इसलिए पुराने ग्राहक उनसे अब तक जुड़े हुए है।

यह बताते है कि ये गन्ने के रस में कई सामग्रियों का प्रयोग करते है जिससे रस का स्वाद और बढ़ जाता है जैसे इलायची, अदरक पुदिना और निंबू। विष्णु डिडवानिया ने बताया कि रस भण्डार सुबह 7.30 से रात 9:30 तक खुला रहने के साथ ही 12 महीने खुला रहता है। उन्होंने ये भी बताया कि रोजाना 300 से 400 ग्राहक गन्ने के रस का लुफ्त उठाते है जिससे रोजाना लगभग 10 हजार की आमदनी हो जाती है। दातार रस भण्डार के यहां छाया और बैठने की व्यवस्था भी है।

6. भरका देवी रस भंडार
भट्ठे पर स्थित भरका देवी रस भंडार सिख कॉलोनी का सबसे फेमस गन्ने के जूस की दुकान है। इसकी स्थापना भरत सरगरा (बादल) ने 4 साल पहले की थी। दुकान संचालक गन्ने के रस में नींबू और पुदीना डालते है जिससे रस बहुत ही स्वादिष्ट हो जाता है। भरत सरगरा बताते है की कोरोना काल में भरका देवी रस भंडार 2 साल तक बंद रहा था। वह यह भी बताते है की रोजाना ही उनके रस भंडार पर लगभग 300 लोग गन्ने के रस का लुफ्त उठाने आते है। उनका कहना है की यह रस भंडार सुबह 9 से लेकर रात की 10 बजे तक खुला रहता है वही 12 महीने चालू भी रहता है।

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