माछला मगरा की पहाडी पर स्थित मंदिर में नवरात्रि में पड़ती है भक्तों की भीड़
उदयपुर। शहर के माछला मगरा पर करणी माता का मंदिर हैं। यहां पर नवरात्रि के नौ दिनों में हजारों भक्त दर्शन करने के लिए जाते हैं। रोपवे के साथ—साथ भक्त पैदल यात्रा करते हुए यहां तक पहुंचते हैं। इस मंदिर में बीकानेर के करणी माता मंदिर की तरह ही पूजा अर्चना होती हैं। मंदिर में भक्तों के पहुंचने का दौर अलसुबह ही शुरू हो जाता है जो कि देर रात तक चलता है। यहां पर आने वाले सभी भक्तों की मनोकामना पूर्ण होती है इसलिए मंशापूर्ण करणी माता के नाम से भी जाना जाता हैं।
उदयपुर के प्रमुख शक्तिपीठों में शामिल करणी माता मंदिर पहाडी पर होने के बावजूद कई भक्त ऐसे भी है जो प्रतिदिन दर्शन के लिए पहुंचते हैं। नवरात्रि के नौ दिनों तक मंदिर पर विशेष साज—सज्जा के साथ विशेष पूजा अर्चना होती है ओर विशेष श्रृंगार धराया जाता हैं।
इस मंदिर की खास बात यह है कि यहां पर भक्तों के दर्शन करने के बाद उनके मन को शांति मिलती है। इतना ही नहीं यह मंदिर उंची पहाडी पर होने से यहां से पूरे शहर को देखा जा सकता है। पहाडी के चारों तरफ बसे शहर का विहगम नजारे को कैद करने के लिए कई लोग यहां पर पहुंचते हैं।
जानिए मंशापूर्ण करणी माता मंदिर के इतिहास के बारे में
बीकानेर के प्रसिद्ध करणी माता मंदिर से प्रेरित उदयपुर का यह करणी माता मंदिर मनोकामना सिद्ध होने के कारण श्री मंशापूर्ण करणी माता मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। करणी माता को करणीजी एवं नारी बाई नाम से भी जाना जाता है। उदयपुर में करणी माता मंदिर की स्थापना महाराणा कर्ण सिंह ने 1620 और 1628 के बीच करवाई थी।
करणी माता को राजस्थान के राजा-महाराजाओं की कुल माता माना जाता है, प्रत्येक महाराज युद्ध में प्रस्थान से पहले माँ करणी का आशीर्वाद अवश्य ही लेते थे। मान्यताओं के अनुसार दिन में दो बार इस मंदिर के दर्शन अत्यधिक शुभ माने जाते हैं। अर्थात यदि आप सुबह एवं शाम दोनों ही समय मंदिर के दर्शन करते हैं, तो करणी माता स्वयं आपकी आकांक्षाओं और इच्छाओं को पूरा करती हैं।