शारदीय नवरात्र की स्थापना के साथ ही बलीचा स्थित बड़बड़ेश्वर महादेव मंदिर प्रांगण में चल रहे सनातनी चातुर्मास में 54 कुण्डीय मां बगलामुखी महायज्ञ आरम्भ हुआ। कलश यात्रा के साथ शुरू हुए अनुष्ठानों का क्रम सांध्यवेला तक चला।
कोलाचार्य माई बाबा के नेतृत्व में स्थानीय आचार्य रजनीकांत आमेटा, पं. कमल किशोर शर्मा के साथ देश भर से आए डेढ़ सौ आचार्यों द्वारा शास्त्रोक्त मंत्रोच्चार के बीच नौ कन्याओं के पूजन के बाद भूमि पूजन, वेदी पूजन आदि नियमानुसार विभिन्न देवी-देवताओं का आहावन हुआ। इसके बाद प्राचीन विधि से काष्ठ को रगड़ कर अग्नि उत्पन्न की गई और इससे यज्ञकुण्ड की अग्नि प्रज्वलित की गई। मां बगलामुखी के स्वरूप में कलश की स्थापना की गई। तत्पश्चात विश्व शांति, भारतवर्ष की सुख-समृद्धि-शक्ति, सामाजिक समरसता की कामना के साथ श्रद्धालुओं ने अपनी-अपनी मनोकामनाएं भी मन में धारण कर यज्ञ में आहुतियां अर्पण करना आरंभ किया।
मीडिया संयोजक मनोज जोशी ने बताया कि मढ़ी मन मुकुंद दिगम्बर खुशाल भारती महाराज के सान्निध्य में चल रहे सनातनी चातुर्मास में नवरत्रि में आयोजित मां बगलामुखी आराधना महायज्ञ में हर कुण्ड पर एक जजमान जोड़ा बैठा। इस आराधना के नियमानुसार सभी ने पीतवर्णी पारम्परिक परिधान धारण किए। कुछ कुण्डों पर दो जोड़े व अन्य आराधक भी बैठे। मुख्य जजमान की जिम्मेदारी किशन राठी ने निभाई।