बिना किसी स्वार्थ के सेवा कैसे की जाती है, यह इस शहर ने कोरोना काल में साबित किया है। जब गरीबों के रोजगार छूटे तो यहां के लोगों ने कहीं भोजन तो कहीं राशन पहुंचाया। किसी ने सेनिटाइज तो किसी ने मास्क बांटे। यह तो केवल बानगी थी। हकीकत ये है कि जरूरतमंदों की सेवा और सहायता तो उदयपुर का स्वभाव है। आज यह शहर शेष विश्व के साथ ब्लड डोनर डे (विश्व रक्तदाता दिवस) मना रहा है।
इस मौके पर हमने शहर के उन लोगों से मुलाकात की, जो जीवन बचाने के इस जज्बे को जीते हैं। ये सिर्फ रक्तदान नहीं करते, बल्कि लोगों को इसके लिए जागरूक भी करते हैं। अब इन लोगों के अपने बड़े समूह हैं, जो एक मैसेज या कॉल पर रक्तदान के लिए उपलब्ध हो जाते हैं। बता दें, कोरोना काल में एक दौर ऐसा भी आया था, जब शहर और संभाग के सबसे बड़े एमबी अस्पताल में रक्त संकट हो गया था। तब एक आह्वान पर शहर के कई लोगों ने रक्तदान कर इस संकट से उबारा था। पढ़िए उदयपुर पत्रिका डॉट कॉम की खास रिपोर्ट
इनके जज्बे को सलाम : जो मदद के लिए किसी बुलावे का इंतजार नहीं करते
रक्तदान महादान चैरिटेबल ट्रस्ट व भारतीय जनता युवा मोर्चा : 10 साल में 10000 से ज्यादा रक्तदान कराए
संचालक गजेंद्र भंडारी बताते हैं कि उन्होंने ब्लड डोनेशन की शुरुआत साल 2013 में भण्डारी चैरिटेबल ट्रस्ट से की थी। मां शीला भंडारी की पुण्यतिथि पर उन्होंने इस ट्रस्ट की शुरुआत की थी। फिर 2015 में भारतीय जनता युवा मोर्चा शहर जिलाध्यक्ष के माध्यम से मिलकर सेवा दी। इन दिनों भण्डारी चैरिटेबिल ट्रस्ट के साथ अपनी भूमिका अदा कर रहे हैं। हर साल वह मां की पुण्यतिथि पर रक्तदान शिविर करवाते हैं। अब तक 10000 से अधिक यूनिट रक्तदान पूरी टीम के माध्यम से करवा चुके हैं। विश्व रक्तदान दिवस पर राजस्थान स्टेट ब्लड ट्रांसफ्यूजन काउंसिल, जयपुर ने प्रदेश में सर्वाधिक रक्तदान शिविर करवाने पर गजेंद्र को सम्मानित किया था।
संदेश : रक्तदान एक महादान है।आपके द्वारा दिया हुवा रक्त किसी की जान बचा सकता है।यह एक ऐसा दान है की देने वाला कौन है और जरुरत किसको पढ़ जाए।कोई नहीं बता सकता।आप किसी की ज़िन्दगी बचा सकते हो।इससे बड़ा पुण्य का कार्य कोई नहीं हो सकता।
चलते-फिरते ब्लड बैंक हैं 58 साल के कप्पू, बनाई रक्तदान की सेंचुरी
लेकसिटी के एक्टिव लोगों के बीच रवींद्र पाल सिंह कप्पू जाना-पहचाना नाम है। इन्हें चलता-फिरता ब्लड बैंक कहें तो अतशियोक्ति नहीं होगी। वजह ये कि 58 साल के रवींद्र पाल अब तक 100 बार ब्लड डोनेट कर चुके हैं। रक्तदान का जुनून ऐसा कि जैसे ही 18 साल के हुए, यह सेवा शुरू कर दी। तब उन्होंने अपनी मौसी के खून दिया था। रवींद्र बताते हैं- इस घटना के बाद मौसी जब भी मिलतीं, एक बात कहना कभी नहीं भूलती थीं- कप्पू आज तेरी वजह से जिंदा हूं। उनकी यह पंक्ति याद आती है तो मानो रग-रग में नया खून दौडऩे लगता है। इंतजार रहता है कि कब 4 महीने पूरे हों तो रक्तदान करूं।
संदेश : ब्लड डोनेट करने से कमजोरी नहीं आती। अगर आप सेहतमंद हैं, तो यह सेवा करनी ही चाहिए। डॉक्टर भी बताते हैं कि रक्तदान करने से हृदय रोग, ब्लड प्रेशर जैसी कई तरह की बीमारियों का खतरा कम हो जाता है।
काम कम्प्यूटर का, सेवा रक्त की, 20 साल सक्रिय हैं विकास
उदयपुर कम्प्यूटर ट्रेडर्स एसोसिएशन 20 साल से सेवाएं दे रही है। यह संगठन उन लोगों के लिए तत्पर है, जो कम्प्यूटर से जुड़े व्यापारी हैं। एसोसिएशन के विकास अग्रवाल बताते हैं कि लोगों को जब भी हमारी जरूरत होती है, हम तैयार रहते है। हर साल की तरह इस बार 18 जून को ब्लड डोनेशन शिविर लगाएंगे। यह आयोजन सुधा ऑर्थोपेडिक और गायनिक हॉस्पिटल में सुबह 7.30 बजे शुरू होगा। मकसद यही है कि आपात स्थिति में खून नहीं मिलने की वजह से किसी की जान न जाए। वे मौके खुशी देते हैं, जब मरीज या तीमारदार कहते हैं- आपकी मदद से हमारे परिवार की खुशियां जिंदा हैं।
संदेश : रिश्ते-नाते सब भगवान के दिए हैं, लेकिन जब आप रक्तदान करते हैं तो किसी अनजान से खून का रिश्ता जोड़ लेते हैं। किसी जरूरतमंद का जीवन बचाने की खुशी को शब्दों में बयान कर पाना मुश्किल है।
डॉ अनुष्का एजुकेशनल सोसायटी के शिविरों से अधिकारी भी जुड़े
संस्थापक डॉ. एस.एस. सुराणा और अध्यक्ष कमला सुराणा ने यह शरुआत की थी। लेफ्टिनेंट डॉ. अनुष्का सुराणा की स्मृति में डॉ. अनुष्का ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट 9 अप्रैल, 2010 से हर साल रक्तदान शिविर लगा रहा है। इस साल इसमें 402 यूनिट ब्लड कलेक्शन हुआ था। खास बात ये कि इन शिविरों में हजारों यूनिट रक्तदान किया जा चुका है और इनमें कलेक्टर, एडीएम, आईपीएस अधिकारी, रजिस्ट्रार और भारतीय सेना एवं बीएसएफ के जवान भी हिस्सा लेते आए हैं। आयोजनों के पीछे सोच यही है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को इनका लाभ मिले और ज्यादा से ज्यादा लोग इस सेवा का महत्व समझें।
संदेश : शोध भी बताते हैं कि रक्तदान के साथ शरीर में नया खून बनने लगता है। नया खून यानी नई ऊर्जा, अच्छा स्वास्थ्य और तरो-ताजगी। यही है तो देने का सुख, जो ईश्वर और प्रकृति हमें देते हैं।
जानना जरूरी है : रक्तदान यानी जरूरतमंद को जीवन और खुद को सेहत का तोहफा
ब्लड डोनेट करके न सिर्फ हम किसी दूसरे को नया जीवन देते हैं, बल्कि यह हमारी सेहत के लिए भी फायदेमंद हैं। रक्तदान करना दिल की सेहत को सुधार सकता है और स्ट्रोक समेत दिल की बीमारियों का खतरा कम करता है। डॉक्टर बताते हैं कि खून में आयरन ज्यादा मात्रा खतरा बढ़ा सकती हैं। नियमित रक्तदान से आयरन की अतिरिक्त मात्रा नियंत्रित होती है। मनोवैज्ञानिक रूप से यह हमें खुश भी रखता है, क्योंकि रक्तदान के बाद यह महसूस करते हैं कि हमारे एक प्रयास से किसी की जान बच गई।
देश में हर साल 1 करोड़ यूनिट जरूरत, मिलता 75 लाख
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार भारत में हर साल 1 करोड़ यूनिट रक्त की जरूरत होती है। हालांकि उपलब्ध 75 प्रतिशत यानी 75 लाख यूनिट ही हो पाता है। नतीजतन 25 लाख यूनिट खून के अभाव में हर साल सैकड़ों मरीजों की जान चली जाती है। यह स्थिति भी तब है, जबकि यह देश दुनिया का सबसे बड़ा मानव संसाधन है। लगभग 142 करोड़ आबादी वाले भारत देश में जहां, 50 करोड़ आबादी रक्तदान के योग्य है। चौंकाने वाली बात ये भी कि यहां रक्तदाताओं का आंकड़ा कुल आबादी का 1 प्रतिशत भी नहीं है। सबसे बड़ा कारण जागरूकता की कमी है।
आरएनटी मेडिकल कॉलेज के अस्पतालों में जरूरत
-दुर्घटनाग्रस्त व घायल लोगों के लिए
-खून की कमी या एनीमिया के मरीजों के लिए
-थैलेसीमिया, ल्यूकेमिया व हीमोफीलिया के मरीजों के लिए
-गर्भवती माताओं और नवजात शिशुओं के लिए
-गंभीर ऑपरेशन या सर्जरी के मामलों में
-प्राकृतिक आपदा के समय घायल लोगों के लिए
अगर आप भी यह सोचते हैं तो आप गलत है
-रक्तदान करने से शरीर कमजोर होता है
-तनाव बढ़ता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है
-एचआईवी जैसी बीमारी होने का खतरा हो सकता है।
-औरतों को रक्तदान नहीं करना चाहिए।
आप कर सकते हैं रक्तदान, अगर
-18 से 65 वर्ष की उम्र के और स्वस्थ हैं
-आपका वजन 45 किग्रा से अधिक है
-रक्त में हीमोग्लोबिन की मात्रा 12.5 ग्राम या इससे अधिक है
-दिल की धड़कन सामान्य या 60 से 100 प्रति मिनट है
-शरीर का तापमान 37.5 डिग्री सेंटीग्रेड से अधिक नहीं है
-48 घंटे के दौरान शराब या नशीली दवा न ली हो
-टीबी, पीलिया, मधुमेह, मलेरिया, एड्स आदि से पीडि़त नहीं हैं
अपील : आइए, साल में सिर्फ 2 बार रक्तदान करें, दूर करें रक्त संकट
खून की जरूरत हमेशा रहती आई है। लेकिन कई बार यह उन सभी के लिए उपलब्ध नहीं हो पाता है, जिन्हें जरूरत है। विश्व रक्तदाता दिवस को इस संकल्प के साथ सार्थक कर सकते हैं कि हम साल में कम से कम 2 दो यह पुनीत काम करेंगे। इसके लिए अपना या अपनों का जन्मदिन या खुशी का कोई भी मौका चुन सकते हैं। याद रखिए, जॉय ऑफ गिविंग यानी देने के सुख से बड़ा कुछ भी नहीं है।
रक्तदान बढ़ाने के लिए यह सब जरूरी
-हर ब्लड बैंक पर काउंसलिंग सेंटर हो, जहां जिस परिवार को ब्लड की जरूरत हो उसके परिजनों को मोटिवेट किया जाए
-ग्रामीण क्षेत्रों में योजनाबद्ध तरीके से सबको आगे लाने के प्रयास हों
-भील, गाडिय़ा लोहार, बंजारा, कालबेलिया समेत कुछ समाज अभी तक रक्तदान से दूरी बनाए हुए हैं। भ्रांतियों को दूर कर इन्हें भी मोटिवेट किया जाए
-स्कूली छात्रों को रक्तदान के फायदे बताकर प्रोत्साहित किए जाए और कॉलेज में एडमिशन के साथ ही कम से कम वर्ष में दो बार रक्तदान के लिए प्रेरित किया जाए।