राजस्थान में विधानसभा चुनाव का बिगुल बजने के साथ ही भाजपा और कांग्रेस सहित अन्य राजनैतिक पार्टिया पूरी तरह से चुनावी मैदान में डटी हुई दिखाई दे रही हैं। हांलाकि पिछले 75 सालों का इतिहास देखे तो यहां पर क्षेत्रिय पार्टियों का नहीं बल्कि भाजपा और कांग्रेस का ही राज रहा हैं। इन दोनों पार्टियों से सीएम फेस को लेकर चुनावी गलियारो में कई दावे भी किए जा रहे हैं। जहां कांग्रेस से वर्तमान सीएम अशोक गहलोत इस दौड़ में हैं तो वहीं कई न कई सचिन पायलट भी इस दौड़ में शामिल होते दिखाई दे रहे हैं। इधर भाजपा ने इस बार बिना मुख्यमंत्री के चेहरे के लड़ने का फैसला किया हैं। इसलिए पूरी तरह से चुनावी कमान पीएम मोदी संभाले हुए हैं। हांलाकि सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा हैं कि भाजपा की और दीया कुमारी मुख्यमंत्री का चेहरा हो सकती है।
आचार संहिता से पहले भी भाजपा इस बात का ऐलान कर चुकी हैं कि राजस्थान में केवल और केवल कमल के फूल पर भी चुनाव लड़ा जाएगा। कुछ समय पर हुए सर्वे में यह साफ हो गया हैं कि राजस्थान में भाजपा का लोकप्रिय चेहरा पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राहे हैं। ऐसे में वसुंधरा राजे को दरकिनार करना पार्टी के लिए मुसीबत खडी करना जैसा दिखाई दे रहा हैं।
सर्वे में यह बात आ चुकी हैं सामने
वसुंधरा राजे को सीएम चेहरा घोषित न करने पर बीजेपी को फायदा होगा या फिर नुकसान? इसको लेकर सर्वे में लोगो की राय है कि 43 फीसदी लोगों ने माना कि इससे राजस्थान की विपक्षी पार्टी बीजेपी को फायदा होगा लेकिन 42 फीसदी लोगों को मानना हैं कि भाजपा आलाकमान के इस फैसले का विपरित परिणाम आ सकता हैं। वहीं 12 फीसदी लोगों ने कहा कि इस फैसले से बीजेपी की चुनावी संभावना पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।