उदयपुर में हाईकोर्ट बैंच की मांग का आंदोलन 44 वर्षो से चला आ रहा है और शायद यह आंदोलन प्रदेश का सबसे लम्बा चलने वाला आंदोलन है जिनकी मांगो पर अभी तक सरकार ने ध्यान नहीं दिया। सोमवार को उदयपुर बार एसोसिएशन के अधिवक्ताओं ने न्यायिक कार्यो का बहिष्कार करते हुए कोर्ट परिसर में इकठ्ठे होकर राज्य सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और इस मांग पर ध्यान देने की मांग की।

उदयपुर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष चन्द्रभान सिंह शक्तावत ने बताया कि उदयपुर में हाईकोर्ट बैंच की स्थापना को लेकर प्रतिमाह की सात तारीख को हजारों अधिवक्ता न्यायिक कार्यो का बहिष्कार करते हुए आंदोलन करते है। उन्होंने यह भी कहा कि सोमवार को भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला। इससे पहले कई बार राज्य सरकार से यहां के प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात भी की लेकिन कोई निर्णय नहीं हो पाया। हाईकोर्ट की बैंच तभी संभव है जब राज्य सरकार इसके लिए केन्द्र सरकार पुरजोर तरीके से पैरवी करे। शक्तावत ने यह भी कहा कि अभी तक केन्द्र व राज्य सरकार अपनी—अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला जाड़ रही है जो कि गलत है। इस मांग के लिए केन्द्र व राज्य दोनों को जिम्मेदारी लेनी होगी और उदयपुर के अधिवक्ताओं की मांग को पूरा करना होगा।
वरिष्ठ अधिवक्ता रमेश नंदवाना ने कहा कि अब तक केन्द्र व राज्य सरकार अलग—अलग पार्टी की सरकारे होने से इसमें अड़चन आ रही थी लेकिन अब तो केन्द्र व राज्य दोनों जगह एक ही पार्टी की सरकारह होने के बावजूद हमारी मांगो पर ध्यान नहीं देना, इस बात की ओर इंगित करता है कि कई न कई राजनेताओं और सरकार में बैठे लोगों की मंशा साफ नहीं है। अब जरूरत है कि उदयपुर संभाग के सभी सांसदो, विधायको व अन्य जनप्रतिनिधियों को जगाकर उन्हें बताया कि इस मांग के पूरी होने के बाद पूरे संभाग की आदिवासी जनता का कितना लाभ होगा जो कि न्याय के लिए जोधपुर नहीं जा सकते। न्यायालय परिसर में दिए गए धरने में उदयपुर बार एसोसिएशन के सभी पदाधिकारियों के साथ वरिष्ठ व युवा अधिवक्ता मौजूद थे।