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क्या है MRI स्कैन, आईए जानते हैं इसके बारे में और कब हो सकती है ये जानलेवा।

क्या है MRI स्कैन ?

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MRI स्कैन जिसका पूरा नाम ‘मैग्नेटिक रेसोनेंस इमेजिंग’ है, एक प्रकार की इमेजिंग तकनीक है जिसका इस्तेमाल शरीर के अंदरूनी हिस्सों की बहुत ही विस्तृत और स्पष्ट तस्वीरें प्राप्त करने के लिए किया जाता है। जिसमें आम तौर पर 15 से 90 मिनट तक लगते हैं, ये इस बात पर निर्भर करता है कि शरीर का कौन सा, कितना बड़ा हिस्सा स्कैन किया जाना है, कितनी तस्वीरें ली जानी हैं। यह तकनीक बिना किसी शारीरिक चीरा लगाए शरीर के अंदरूनी अंगों का अध्ययन करने में मदद करती है। MRI स्कैन रेडिएशन के बजाए मैग्नेटिक फील्ड पर काम करता है, इसलिए एक्स रे और सीटी स्कैन से यह अलग है।

यह पूरे शरीर में जहां जहां हाइड्रोजन होता है, स्पिन यानी घूमने से एक इमेज बनती है, जैसा की शरीर में 70 फीसदी पानी होता है, इसलिए हाइड्रोजन स्पिन के ज़रिए बने इमेज से शरीर की काफी दिक्कतों का पता लगाया जा सकता है। इस प्रक्रिया से डॉक्टर्स को शरीर के विभिन्न हिस्सों, जैसे मस्तिष्क, रीढ़, जोड़ों और अन्य अंगों की स्थिति और स्वास्थ्य की जानकारी मिलती है, जो चिकित्सा निदान और उपचार में महत्वपूर्ण होती है।

MRI स्कैन से पहले ?

आम तौर पर MRI स्कैन वाले दिन आप खा-पी सकते हैं और दवाएं भी ले सकते हैं. कुछ मामलों में स्कैन से चार घंटे पहले तक ही खाने को कहा जाता है ताकि चार घंटों की फ़ास्टिंग हो सके, कुछ लोगों को अत्यधिक पानी भी पीने को कहा जाता है, अस्पताल पहुंचने पर जिसका स्कैन होना है, उसकी सेहत और मेडिकल जानकारी मांगी जाती है जिससे मेडिकल स्टाफ़ को ये पता चलता है कि स्कैन करना सुरक्षित है या नहीं। ये जानकारी देने के बाद मंजूरी भी मांगी जाती है कि आपका स्कैन किया जाए या नहीं।

MRI स्कैनर ताक़तवर मैग्नेटिक फ़ील्ड पैदा करता है, ऐसे में उसके भीतर जाते वक़्त शरीर पर कोई मेटल ऑब्जेक्ट नहीं होना चाहिए. इनमें ये चीज़ें शामिल हैं:

घड़ी, ज्वेलरी जैसी नेकलेस या झुमके, पियर्सिंग , नकली दांत जिनमें धातु का इस्तेमाल होता है, सुनने की मशीन, विग, क्योंकि कुछ में धातु के टुकड़े होते हैं।

MRI स्कैन में क्या होता है?

MRI स्कैनर एक सिलेंडरनुमा मशीन होती है जो दोनों तरफ़ से खुली होती है, जांच कराने वाला व्यक्ति मोटराइज़्ड बेड पर लेटता है और फिर वो मशीन के भीतर जाता है। कुछ मामलों में शरीर के किसी ख़ास हिस्से पर फ़्रेम रखा जाता है जैसे कि सिर या छाती, फ़्रेम में ऐसे रिसीवर होते हैं जो स्कैन के दौरान शरीर की तरफ़ से जाने वाले सिग्नल लपकते हैं जिससे बढ़िया गुणवत्ता वाली तस्वीरें लेने में मदद मिलती है। MRI स्कैन के दौरान कई बार तेज़ आवाज़ें आती हैं जो इलक्ट्रिक करंट की होती है, शोर से बचने के लिए स्कैन से पहले हेडफ़ोन भी दिए जाते हैं।

कब और क्यों ख़तरनाक होती है ये मशीन?

शरीर की जांच के लिए बनी ये मशीन कई बार ख़तरनाक और जानलेवा भी साबित हो सकती है। यूं तो रूम में दाख़िल होने से पहले ये सुनिश्चित किया जाता है कि मरीज़ के पास कोई धातु की चीज़ ना हो लेकिन कई बार अनजाने में गड़बड़ी हो जाती है। अगर शरीर के भीतर कोई स्क्रू, शार्पनेल या कारतूस के हिस्से भी हैं तो ये आपके लिए ख़तरनाक साबित हो सकते हैं, धातु के ये टुकड़े मैग्नेट बेहद तेज़ गति से खींचेंगे और शरीर को गंभीर चोट पहुंचेगी.

इसके अलावा मेडिकेशन पैच, ख़ास तौर से निकोटिन पैच लगाकर स्कैन रूम में जाना सही नहीं है क्योंकि उसमें एल्यूमीनियम के कुछ अंश होते हैं. स्कैनर चलने के वक्त ये पैच गर्म हो सकते हैं जिससे मरीज़ जल सकता है।

 

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