उदयपुर। विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने यूआईटी चैयरमेन बनाने का फैसला किया है। इस फैसले के बाद से ही उदयपुर की शहर और देहात कांग्रेस में हलचल शुरू हो गई है और एक-एक कर नई दावेदार सामने आ रहे है। यूआईटी चैयरमेन जो भी बनेगा वह मात्र दो से तीन माह के लिए ही बनेगा, लेकिन दो या तीन माह के लिए भी यूआईटी चैयरमेन बनने को तैयार है।
कांग्रेस के राष्ट्रीय संगठन ने फैसला लिया कि राजस्थान में यूआईटी चैयरमेन सहित अन्य राजनीतिक नियुक्तियां की जाएगी। केन्द्र के आलाकमान के इस फैसले के बाद से ही उदयपुर शहर और देहात से लगातार एक-एक कर कई दावेदार सामने आ रहे है, हालांकि इन दावेदारों को पता है कि वे मात्र दो या तीन माह के लिए ही यूआईटी का अध्यक्ष पद मिलेगा। इसके बाद भी नाम सामने आ रहे है।
इसमें मुख्य रूप से उदयपुर शहर से पूर्व केन्द्रीय मंत्री रही डॉ. गिरिजा व्यास के परिवार से भाई गोपाल शर्मा गोपजी, पंकज शर्मा, वीरेन्द्र वैष्णव, दिनेश श्रीमाली, पूर्व देहात जिलाध्यक्ष लाल सिंह झाला, राजीव सुहालका, माया कुंभट के साथ-साथ अदिती मेहता को भी दौड़ में बताया जा रहा है। इनमें से अधिकांश को हाल में प्रदेश संगठन का विस्तार में शामिल कर पद दिया गया है, इसके बाद भी ये दौड़ में है। यह लिस्ट ओर भी लम्बी होगी क्योंकि वल्लभनगर विधायक प्रीति शक्तावत अपने समर्थक को यूआईटी चैयरमेन बनाने का प्रयास करेगी।
दावेदार कम होने की जगह बढ़ेंगे
कांग्रेस नेतृत्व का मानना है कि यूआईटी चैयरमेन की नियुक्ति से विधानसभा चुनाव में दावेदार कम होंगे, पर ऐसा नहीं है, जिसे भी यूआईटी चैयरमेन बनाया जाएगा वह अपने ही आप ही विधायक के टिकट का दावेदार होगा और टिकट की मांग करने लगेगा, क्यूंकि यूआईटी का क्षेत्र काफी बढ़ा है।
लोगों में चर्चा, कोई मतलब नहीं
इधर कांग्रेस नेताओं में इस बात की चर्चा है कि अब यूआईटी चैयरमेन बनने से कोई फायदा नहीं है। उनका कहना है कि जो भी चैयरमेन बनेगा उसे दो माह तो यूआईटी को समझने में ही लग जाएंगे और इसके बाद आचार संहिता लग जाएगी। ऐसे में वह क्या काम करेगा और क्या कांग्रेस कार्यकर्ताओं के काम करेगा।