उदयपुर। क्रिकेट जगत में लेकसिटी का नाम रोशन करने वाले अशोक मेनारिया ने राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन से नाता तोडकर हरियाणा क्रिकेट एसोसिएशन से जुड गए हैं। मेनारिया रणजी के अगले सीजन में हरियाणा की तरफ से खेलते नजर आएगें। मेनारिया भारत की अंडर 19 टीम से खेल चुके हैं। मेनारिया ने राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन को छोड़ने का फैसला मजबूरी में लिया।
मेनारिया ने राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन को छोडने को लेकर उदयपुर पत्रिका डॉट कॉम को बताया कि उनकी हरियाणा क्रिकेट एसोसिएशन के अनिरूद्ध चौधरी से हुई बातचीत के बाद यह फैसला लिया हैं। मेनारिया के इस फैसले के बाद अब एक नया अध्याय शुरू होने जा रहा हैं। हांलाकि राजस्थान क्रिकेट एसोसिशन को छोड़ने को लेकर किए गए सवाल पर उन्होंने चुप्पी साध ली। उन्होंने इस पर कोई जवाब नहीं दिया।
भारत की अंडर 19 टीम के साथ रणजी टीम की कर चुके है कप्तानी
क्रिकेटर अशोक मेनारिया ने अपने जीवन की शुरूआत उदयपुर क्रिकेट से की। अंडर 14 टीम में सलेक्शन के बाद मेनारिया ने कभी भी पीछे मुडकर नहीं देखा। उन्होंने इसके बाद अंडर 19 की भारत की टीम का हिस्सा रहे। मेनारिया ने अंडर 19 वर्ल्डकप में टीम का नेतृत्व किया। इसके बाद राजस्थान रणजी टीम का हिस्सा रहते हुए चार साल तक राजस्थान रणजी टीम के कप्तान रहे। वे मात्र 20 वर्ष की उम्र में राजस्थान रणजी टीम में शामिल हो गए थे। मेनारिया ने बताया कि उन्होंने अब तक अंडर 14 से लेकर रणजी तक सभी टीमों का नेतृत्व किया हैं।
अच्छा मौका मिले तो जाना चाहिए — महेन्द्र शर्मा
अशोक मेनारिया के हरियाणा टीम में शामिल होने से उनकी अनिरूद्ध चौधरी से बातचीत हुई। चौधरी अंडर 19 वर्ल्डकप की टीम के मैनेजर रह चुके हैं उसी दौरान मेनारिया भी टीम के कप्तान थे। मेनारिया ने बताया कि अनिरूद्ध चौधरी ने हरियाणा टीम ज्वाइन करने से पहले राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के पूर्व सचिव और उदयपुर क्रिकेट को आगे ले जाने वाले महेन्द्र शर्मा से सलाह लेने की बात कही। इस पर मेनारिया ने भी महेन्द्र शर्मा से इस बारे में बात की तो शर्मा ने कहा कि राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन से बेहतर मौका मिलता है तो जाना चाहिए।
अच्छे खिलाडियों का आरसीए छोड़ना निराशाजनक
रवि विश्नोई के बाद अशोक मेनारिया के राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के छोड़ने के फैसले ने सभी को चौंका दिया हैं। एक—एक कर खिलाडि़यों के एसोसिएशन छोड़ने से कई न कई एसोसिएशन पर भी सवाल खडे़ होते दिखाई दे रहे हैं। आखिरकार आरसीए के पदाधिकारी खिलाडियों के साथ सौंतेला व्यवहार तो नहीं कर रहे है या फिर उन्हें मौका नहीं दिया जा रहा हैं। इसलिए खिलाडी इस तरह के फैसले लेने को मजबूर हैं।