उदयपुर की पिछोला झील में बुधवार को जलीय घास खाने वाली ग्राप कार्प मछलियों को छोड़ा गया। मछली पकडऩे के टेंडर मेें ठेकेदार कुल टेडर का 25 प्रतिशत मछलियों को छोडऩे के निर्देश दिए थे, जिस पर बुधवार को ग्रास कार्प मछलियों को छोड़ा गया।
पिछोला झील में ग्रास कार्प मछलियों को छोडऩे के लिए कई समय से प्रयास किया जा रहा था। झील सुरक्षा व विकास समिति उदयपुर की बैठकों में भी यह मुद्दा उठा था। तत्कालीन जिला कलेक्टर चेतन देवडा ने झील सुरक्षा व विकास समिति उदयपुर की बैठक में जलीय खरपतवार पर नियंत्रण करने के लिए ग्रासकार्प, सिल्वर कार्प मछलियाँ छोडने की मांग उठी। इस मांग को झील प्रेमी तेज शंकर पालीवाल ने प्रमुखता से उठाया था। जिस पर मत्स्य विभाग के संयोजन में एक कमेटी बनाई थी।
सभी ने पिछोला झील, फतह सागर में जैविक विधि से जलीय खरपतवार पर नियंत्रण करने के लिए ग्रास कार्प मछलियां छोडऩे का तय किया था। मछलियाँ खरीदने के लिये नगर निगम द्वारा तीन लाख रुपये मत्स्य विभाग को दिए, जिससे एक लाख ग्रास कार्प, सिल्वर कार्प मछलियाँ पिछोला तालाब में छोडी फिर तय हुआ कि मछलियाँ पकडने वाले ठेकेदार को ठेका देते समय टेण्डर में तय किया था कि कुल टेंडर का 25 प्रतिशत ग्रास कार्प मछलियाँ छोडी जाएगी। इस पर बुधवार को ठेकेदार ने पिछोला तालाब के रिंग रोड की ओर तीन लाख मछलियाँ छोडी। इस दौरान झील प्रेमी तेजशंकर पालीवाल, मत्स्य विभाग के उप निदेशक धर्मेश सोडानी व विभाग के अन्य सहायक की उपस्थिति में पिछोला तालाब में मछलियाँ छोडी। इन मछलियों से जलीय खरपतवार पर नियंत्रण होगा।