उदयपुर शहर के समीप बलीचा स्थित बड़बड़ेश्वर महादेव मंदिर प्रांगण में चल रहे सनातनी चातुर्मास में नवरात्रि स्थापना के साथ ही धर्म-अध्यात्म की गंगा बहेगी। रविवार को नवरात्रि स्थापना के साथ ही यहां शुरू हो रहे 54 कुण्डीय मां बगलामुखी महायज्ञ के लिए शनिवार से ही रेलमपेल शुरू हो गई। देश भर से डेढ़ सौ आचार्य इस महायज्ञ के लिए उदयपुर आ चुके हैं।
शनिवार को कोलाचार्य माई बाबा के नेतृत्व में सभी आचार्य तैयारियों में जुटे रहे। मीडिया संयोजक मनोज जोशी ने बताया कि मढ़ी मन मुकुंद दिगम्बर खुशाल भारती महाराज के सान्निध्य में चल रहे सनातनी चातुर्मास में विश्व शांति, भारतवर्ष की सुख-समृद्धि-शक्ति, सामाजिक समरसता की कामना से सर्वकामना सिद्धिदात्री मां बगलामुखी की आराधना होगी। महायज्ञ अनुष्ठान से पूर्व कलश यात्रा का आयोजन होगा। शनिवार को सप्तद्वीप यज्ञशाला में 54 कुण्डों के निर्माण का कार्य पूर्ण किया गया। महायज्ञ के लिए 6 प्रकार के कुण्ड बनाए गए हैं। हर प्रकार के 9 कुण्ड बनाए गए हैं।
इनमें चतुष्कुण्ड, त्रिकोण कुण्ड, योनिकुण्ड, अर्द्धचंद्र कुण्ड, षटकोण कुण्ड व अष्टदल कमल कुण्ड शामिल है। हर प्रकार के कुण्ड का महत्व अलग है। सर्व समाज सनातनी चातुर्मास समिति के सचिव महेश चाष्टा ने बताया कि नवरात्रि के 9 दिन तक जो भी जजमान इस महानुष्ठान में नियमित आहुतियां देने वाले हैं, शनिवार को उनका वैदिक मंत्रोच्चार के साथ दशविधि स्नान कराया गया। यज्ञ में बैठने वाले श्रद्धालु उपवास रखेंगे, ब्रह्मचर्य का पालन करेंगे और शेविंग-साबुन आदि से दूर रहेंगे। कोलाचार्य माई बाबा के सान्निध्य में काशी से पधारे कालीचरण, स्थानीय आचार्य रजनीकांत आमेटा व डेढ़ सौ आचार्यों के शास्त्रोक्त दिशा-निर्देशन में महायज्ञ किया जाएगा।