पीछोला झील में बारीघाट वाले इलाके में पानी सीवरेज मेन होल में गिरकर बर्बाद हो रहा है। झील नए पानी से लबालब है और शहर के एक लाख से ज्यादा लोगों की प्यास बुझाने वाला यह पानी सीवर होल में समा रहा है। एक हफ्ते में नगर निगम के इंजीनियर और डिप्टी मेयर भी मुआयना कर चुके, लेकिन समाधान नहीं हो पाया है।
असल में स्मार्ट सिटी कंपनी ने पहले जो काम किया है उसमें कुछ तकनीकी लापरवाही रख दी और उसमें पिछोला झील के बारीघाट से 24 घंटे झील का पानी सीवर लाइन के जरिए बहकर जा रहा है।
मामले में नगर निगम के पूर्व आयुक्त वासुदेव मालावत ने इंजीनियरों से कहा था कि कि इसे ठीक कीजिए, लेकिन अफसरों ने अनसुना कर दिया। झील में से गुजर रही पुरानी सीवरेज लाइन जिसे बंद कर दिया गया था। उसमें चांदपोल पार्किंग के पास बारीघाट के नजदीक एक मैन होल में पीने का पानी बहकर जा रहा है। जानकारों का कहना है कि पहले झील के अंदर से सीवर लाइन जा रही थी, उस लाइन को तो काट दिया गया और बाहर मुख्य सड़क पर लाइन बिछाकर सीवरेज को चांदपोल पार्किंग के पंप हाउस से जोड़ दिया। झील के अंदर जो बंद लाइन है उसमें झील का पानी समाहित होकर जा रहा है, ये पानी आगे ब्रह्मपोल वाली सीवरेज लाइन में सीवरेज के साथ बहकर जा रहा है। जहां से पानी जा रहा है उस रास्ते को बंद मात्र करना है।
झील के अंदर बंद लाइन का रास्ता बंद करना था
झील विकास प्राधिकरण के पूर्व सदस्य तेज शंकर पालीवाल कहते हैं कि लाखों लीटर पानी व्यर्थ बह रहा है। वे कहते है कि करीब चार महीने होने आए जब नगर निगम के तत्कालीन आयुक्त ने कह दिया था कि झील के अंदर बंद लाइन से पानी जाने वाला रास्ता बंद कर दिया जाए। इतना तक कहा कि ऐसा करें, तब मुझे साथ रखे लेकिन इसकी पालना नहीं हुई और ऊपर से यह कहा जा रहा है कि इसे बंद कर दिया। पालीवाल कहते है कि स्मार्ट सिटी कंपनी के अधिकारियों को आकर इस गलती को ठीक करना चाहिए लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। इधर, डिप्टी मेयर पारस सिंघवी ने मौके मुआयना कर आश्वस्त किया कि झील से जो पानी बहकर जा रहा है उसे रोकने के लिए स्मार्ट सिटी कंपनी के लोगों को लेकर काम किया जाएगा। उन्होंने कहा कि वे मेयर को भी लेकर आएंगे।