उदयपुर। उदयपुर शहर विधानसभा से प्रत्याशी ताराचंद जैन को टिकट मिलने के बाद से ही विरोध का झंडा उठाए चल रहे उप महापौर पारस सिघंवी का आक्रोश अब धीरे-धीरे शांत होता जा रहा है। दो दिनों तक लगातार उप महापौर पारस सिंघवी ने प्रत्याशी विरोध में जमकर प्रदर्शन किया, यहां तक कि उप महापौर सिंघवी ने प्रत्याशी के विरोध में एक रैली भी निकाली थी, लेकिन संगठन पर इस विरोध का कोई प्रभाव ना होता देखकर सिंघवी अब अपने समर्थकों के सम्पर्क में है। इधर भाजपा नेतृत्व भी पारस सिंघवी को मनाने में जुटा हुआ है और भाजपा नेता उप महापौर से समझाईश के प्रयास कर रहे है।
शहर विधानसभा से भाजपा प्रत्याशी तारांचद जैन का टिकट फाईनल होने के बाद से ही उप महापौर पारस सिंघवी ने जमकर विरोध किया। सिंघवी ने लगातार दो दिन तक जमकर विरोध किया और केन्द्रीय नेतृत्व से ताराचंद जैन का टिकट बदलने की मांग की और ऐसा नहीं करने पर अपना अलग निर्णय लेने की चेतावनी दी थी। इसके साथ ही सोमवार को पारस सिंघवी ने स्वभिमान रैली निकाली थी, जिसमें उनके समर्थकों ने भाग लिया था।
लगातार तीन दिन तक विरोध करने के बाद पिछले दो दिनों से पारस सिंघवी एकदम से शांत हो गए है। उनकी तरफ से दो दिनों से किसी भी तरह की कोई गतिविधि नहीं हुई, जिसे देखकर उनके समर्थक भी हैरान है, वहीं पारस सिंघवी दो दिनों बहुत कम लोगों से सम्पर्क में है। सिंघवी मंगलवार को विजयादशमी पर आयोजित हुए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की ओर से पथ संचलन में जरूर शामिल हुए थे, इस दौरान उन्होंने संघ के पदाघिकारियों से मुलाकात जरूर की थी। सिघवी के समर्थक अब उनके अगले कदम का इंतजार कर रहे है। इधर ताराचंद जैन ने अपने प्रचार की गति तेज कर दी है। जैन को टिकट मिलने के बाद से ही ताराचंद जैन के साथ वो नेता भी लग गए है जो लम्बे समय से भाजपा से दूर थे। वे भी अब ताराचंद जैन के साथ नजर आने लगे।
रावण दहन में भी नहीं गए सिंघवी
विजयादशमी पर नगर निगम की ओर से आयोजित रावण दहन के कार्यक्रम में भी उप महापौर नही गए थे। आम तौर पर हर बार रावण दहन में महापौर व उप महापौर जाते है पर इस बार उप महापौर पारस सिंघवी ने इस कर्यक्रम से दूरी बनाए रखी। हालांकि इसके पीछे आचार संहिता होना बताया जा रहा है पर रावण दहन का कार्यक्रम पहले से ही तय होता है ऐसे में जनप्रतिनिधि भी जा सकता है।
जैन के साथ आए कटारिया विरोधी नेता
ताराचंद जैन को प्रत्याशी बनाने के साथ ही वे भाजपा नेता जो लम्बे समय से संगठन से दूर थे और कटारिया के धुर विरोधी माने जाते थे, वे भी इस नजर ताराचंद जैन के कार्यक्रम में आना शुरू हो गए। कटारिया विरोधी जितने भी नेता है, वे ताराचंद के नजदीकी माने जाते है और अब वे धीरे-धीरे ताराचंद जैन के प्रचार-प्रसार में साथ दे रहे है। ताराचंद के साथ कटारिया विरोधी माने जाने वाले पूर्व उपसभापति महेंद्र सिंह शेखावत, वीरेंद्र बाफना, पूर्व मंडल अध्यक्ष अनिल सिंघल, सुखाड़िया विश्वविद्यालय के पूर्व अध्यक्ष वीरेंद्र खींची, सहकार संघ के किरण नागोरी, पूर्व मंडल अध्यक्ष दिलीप सिंह राठौड़ भी थेञ।
सिंघवी का खुद का वार्ड ग्रामीण में
उप महापौर पारस सिंघवी जिस सर्वऋतु विलास में रहते है वह वार्ड भी ग्रामीण में है। सर्वऋतु विलास के लोग पारस सिंघवी की मुख्य ताकत है और यहां के लोग हर बार सिंघवी के साथ खड़े रहते है। पर सर्वऋतु विलास के लोगों का वोट ही ग्रामीण विधायक को डालेंगे, ऐसे में सिंघवी यदि अपना निर्णय लेकर मैदान में उतरते भी है तो यहां के वोट उन्हें नहीं मिलेंगे। ऐसे में उनकी मुख्य ताकत ही उनका सपोर्ट नहीं कर पाएगी।