नाथद्वारा विधायक विश्वराज सिंह मेवाड़ ने राजस्थान विधानसभा में नाथद्वारा नगरपालिका क्षेत्र में मदिरा और मांस की बिक्री पर रोक लगाने की जनभावना को उठाते हुए एक पत्र लिखा। उन्होंने इस विषय को विधानसभा में प्रस्तुत करने की मांग की है। विधायक ने ऐतिहासिक संदर्भ देते हुए बताया कि 17वीं शताब्दी में जब श्रीनाथजी की मूर्ति को औरंगज़ेब के सैनिकों से बचाने के लिए मथुरा से मेवाड़ लाया गया, तब महाराणा राजसिंह ने मूर्ति को सुरक्षित रखने का आश्वासन दिया।

आज, 350 वर्षों के बाद, वही मूर्ति और नाथद्वारा आस्था का प्रमुख केंद्र बन चुका हैं। राज्य सरकार मंदिरों और पर्यटन स्थलों के रखरखाव और तीर्थ यात्रियों की सुविधाओं पर ध्यान दे रही है, लेकिन यह केवल ढाँचों और बनावट तक सीमित नहीं होना चाहिए। धार्मिक स्थलों का वातावरण और उससे उत्पन्न भावनाएं भी महत्वपूर्ण हैं। पहचान को बनाए रखने से ही वातावरण संरक्षित रहता है, जबकि बदलाव से आस्था पर प्रभाव पड़ता है। उदयपुर इसका उदाहरण है, जो कभी अपने इतिहास और पर्यावरण के लिए प्रसिद्ध था, लेकिन आज वह फिल्मी शादियों का प्रमुख स्थल बन गया है। पर्यावरण और सांस्कृतिक मूल्यों के नुकसान से हमें सीख लेनी चाहिए।नाथद्वारा की पहचान श्रीनाथजी और उनसे जुड़ी प्रथाओं से बनी है। यह आवश्यक है कि हम 350 वर्ष पहले किए गए संघर्ष और जनभावनाओं का सम्मान करें, अन्यथा नाथद्वारा की पहचान में एक फ़ीकापन आ सकता है। इतिहास, नागरिकों और देश-विदेश से आने वाले तीर्थ यात्रियों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए श्रीनाथजी से जुड़ी परंपराओं को कायम रखना आवश्यक है। इस संदर्भ में नाथद्वारा नगरपालिका क्षेत्र में मदिरा और मांस की बिक्री पर रोक लगाना एक सही और सराहनीय कदम होगा।