उदयपुर। देश के आजाद होने के बाद से अब तक केन्द्र सरकार की ओर से बहुमत के आधार पर संविधान में किए गए फेरबदल को सभी दल मानते आए है लेकिन वक्फ बोर्ड के बिल पर कुछ दलों का विरोध दिखने लगा है और कुछ राज्यों में हिंसा भड़की है, वह गलत है और संविधान की मूल भावना के अनुरूप नहीं है। यह बात बुधवार को उदयपुर प्रवास पर आए विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कही। उन्होंने कहा कि केन्द्र में अलग—अलग दलों की सरकार रही है और संविधान संशोधन होते आए है लेकिन संविधान का मूल रूप वहीं है जो पहले था लेकिन कुछ दल जनता को भ्रमित करने का काम कर रही है।

सारे दल मूल भाव को लागू करने में सहयोग प्रदान करे। अगर किसी को लगता है कि कुछ गलत हो रहा है तो वह कोर्ट जाए वहां पर सभी की सुनवाइ होगी लेकिन किसी भी राज्य में दंगा भडकाना गलत है। हांलाकि देववानी ने किसी पार्टी का नाम नहीं लिया यह जरूर कहा कि विरोध करने वालो को सुप्रीम कोर्ट पर विश्वास करना पड़ेगा साथ ही लोकसभा और राज्यसभा में बैठे लोगों पर विश्वास करना पड़ेगा अन्यथा सुप्रीम कोर्ट में वाद दायर किया जा चुका है।
फाइनल परिणाम का इंतजार करे। उन्होंने यह भी कहा कि अगर विश्वास नहीं करेगें तो इसका मतलब आपको लोकतंत्र में विश्वास नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कई मामलो में ऐसे निर्णय दिए है जिसकी वजह से केन्द्र सरकार को रूकना पड़ा है। देवनानी ने इस दौरान मीडिया के सामने अब तक विधानसभा में किए गए बदलाव की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि विधानसभा को पेपरलेस करने के बाद पहली बार विधानसभा में 70 प्रतिशत से अधिक विधायको ने टेबलेट का उपयोग किया गया, इससे कई न कई पर्यावरण को रहे नुकसान में कमी आएगी।
मुर्शिदाबाद की घटना पर व्यक्त की चिंता
विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हुई घटना पर चिंता व्यक्त करे हुए कहा कि इस तरह की घटना देश को बदनाम करने का काम करती है। उन्होंने यह भी कहा कि वहां पर हुई घटनाओं के पीछे किसी और एजेंसी का हाथ तो नहीं है। अंतराष्ट्रीय स्तर पर केन्द्र सरकार या देश को अस्थिर का कोई षडयंत्र तो नहीं चल रहा है। यहां पर देववानी ने पुरानी बातों को याद करते हुए कहा कि एक समय ऐसा भी था जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अमेरिका जाने का वीजा नहीं मिल रहा था और वर्तमान में मोदी की सलाह के बिना कोई निर्णय नहीं हो रहा है। इससे यह स्पष्ट है कि समय बदला है और सभी को बदलते समय के साथ चलना चाहिए और उसे स्वीकार करना चाहिए।