उदयपुर। इसे भगवान का चमत्कार ही कहा जाए कि झाडोल थाना क्षेत्र में दो दिन पूर्व लापता हुई एक ढ़ाई साल की बच्ची जंगल में बुधवार सुबह सुरक्षित मिल गई, जहां पर बच्ची मिली उस क्षेत्र में पैंथर का मूवमेंट ज्यादा रहता है। बच्ची के बदन पर एक खरोंच तक नहीं थी और बच्ची भूखी थी। बच्ची को सुरक्षित देखकर पुलिस, वन विभाग के अधिकारियों ने भी राहत की सांस ली।
जानकारी के अनुसार झाडोल के राजपुरा गांव निवासी ढाई वर्ष की भाविका पुत्री शंकरलाल गायरी मंगलवार शाम को घर के बाहर आंगन में खेल रही थी और शाम को इसके परिजनों ने तलाशा तो यह नहीं मिली। इसके बाद ग्रामीणों ने इस बच्ची को पूरे गांव में और आस-पास तलाशा तो भी इसका पता नहींं चला। मंगलवार को परिजनों ने पुलिस को बताया तो झाडोल थानाधिकारी रतन सिंह के नेतृत्व में बच्ची की तलाश शुरू की। इसके साथ ही सिविल डिफेंस टीम को भी बुलाया, जिस पर मौके पर सिविल डिफेंस की टीम भी पहुंची। पुलिस, सिविल डिफेंस की टीम और ग्रामीणों ने इस बच्ची को गांव के सभी कुओं में, नदी में तलाशा पर पता नहीं चला। मंगलवार रात्रि को पता नहीं चलने पर सर्च ऑपरेशन बंद कर दिया गया। पुलिस का कहना था कि इस गांव में मूवमेंट ज्यादा रहता है तो ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा था कि बच्ची को पैंथर उठाकर ले गया होगा।
बुधवार सुबह एक बार फिर से पुलिस, वन विभाग, ग्रामीण और सिविल डिफेंस की टीम ने सर्च ऑपरेशन लांच किया। पुलिस की टीम ने जिस पहाड़ पर ग्रामीणों ने तलाश किया था उस पहाड़ को छोड़ दिया और इस पहाड़ के दूसरी तरफ बच्ची की तलाश शुरू की। सर्च ऑपरेशन शुरू करने के करीब तीन घंटे बाद तलाशी के दौरान ही एक कांस्टेबल मुकेशनाथ को एक झाडी में किसी के रोने की आवाज सुनाई दी। यह देखकर वह उस ओर गया तो वहां पर यह झाड़ी के बीच में बच्ची बैठी थी और रो रही थी।
यह देखकर कांस्टेबल ने वहीं से बच्ची मिलने का शोर किया तो थानाधिकारी मौके पर गए और इस बच्ची को बाहर निकाला। पूरी तरह से सुरक्षित इस बच्ची के पांव ठंडे हो गए थे, जिस पर बच्ची को तत्काल स्कार्पियों में बैठाया गया और हिटर चालू किया गया ताकी इस बच्ची को गर्मी मिले। साथ ही बच्ची के हाथ-पांव पर मालिश करनी शुरू कर दी, करीब आधे घंटे बाद यह बच्ची नार्मल हुई और पुलिस इसे चिकित्सालय लेकर गई। जहां पर जांच में बच्ची नार्मल थी और किसी तरह की खरोच नहीं थी। बाद में बच्ची को उसके परिजनों के सुुपुर्द किया। बच्ची को सुरक्षित देखकर सभी ने राहत की सांस ली। थानाधिकारी रतन सिंह ने कहा कि उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था कि करीब 41 घंटे तक यह बच्ची जंगल में रही और सुरक्षित रही।
पैंथर के मूवमेंट वाले क्षेत्र में 41 घंटे रही
पुलिस के अनुसार पहाड़ी से जिस क्षेत्र में यह बच्ची मिली थी, उस क्षेत्र मेें पैंथर का सर्वाधिक मूवमेंट रहता है। यहां पर पैंथर के कई कुनबे रहते है। ऐसे में 41 घंटे तक बच्ची इस क्षेत्र में सुरक्षित रही, जो अपने आप में एक चमत्कार है। हालांकि बच्ची 41 घंटे से भूखी थी।
रोटी नही दी तो मां को तलाशते जंगल गई
पुलिस के अनुसार मंगलवार को बच्ची की मां जंगल में चारा काटने गई थी। इस दौरान इस बच्ची ने दादी से रोटी मांगी तो दादी ने कहा कि उसकी मांग आएगी और वह खाना बनाएंगी तब उसे रोटी मिलेगी। यह सुनकर यह ढाई वर्ष की बच्ची पैदल-पैदल ही जंगल की ओर अपनी मां को तलाशते हुए चली गई। जंगल में जाकर बच्ची रास्ता भटक गई और पैंथर के मूवमेंट वाले क्षेत्र मेें चली गई।
पुलिस और ग्रामीणों के लिए चमत्कार
पैंथर के मूवमेंट क्षेत्र मेें 41 घंटे तह रहने के बाद भी बच्ची के सुरक्षित मिलना पुलिस और ग्रामीणों के लिए एक चमत्कार है। पुलिस व परिजन भी बच्ची के सुरक्षित होने की आस छोड़ चुके थे और यह मान चुके थे कि बच्ची पैंथर का शिकार बन चुकी है। पर बच्ची सुरक्षित मिली जो एक चमत्कार ही है।