मौसमी बीमारियों समेत ढेरों रोगों को दूर करने वाला एमबी अस्पताल खुद मौसमी बीमारी से जूझ रहा है। बीमारी जहां-तहां पसरे बरसाती पानी और कीचड़ की है, जिससे रोज हजारों तीमारदारों के साथ खुद अस्पताल के कर्मचारी दो हाथ कर रहे हैं।
एक से दूसरी इमारत में जाना हो तो गड्ढों में भरे पानी से बचने के लिए छलांगें मारनी पड़ती हैं। कुल मिलाकर हालात किसी गांव-कस्बे के पीएचसी-सीएचसी से भी बदतर हैं। वजह परिसर में चल रहा निर्माण कार्य है। इसमें बेतरतीबी के कारण लोग परेशान हो रहे हैं।
कई तीमारदार मरीज के साथ वार्ड में नहीं रह पाते। ये लोग परिसर में ही जहां-तहां रात बिताते हैं, लेकिन लगातार कीचड़ और इससे बढ़ते मच्छरों से त्रस्त हैं। ऐसे में सवाल ये भी है कि इन हालात में क्या अस्पताल प्रशासन सेहतमंद तीमारदारों को भी बीमार करके ही दम लेगा।
कलेक्टर साहब! आपने एक हफ्ते पहले दौरे में कहा था सुधार के लिए
हाल ही जॉइन करने वाले कलेक्टर अरविंद पोसवाल ने पिछले हफ्ते ही अस्पताल का दौरा किया था। उन्होंने चिकित्सा सुविधाएं ओके बताईं, लेकिन परिसर की सड़कों की बदहाली दूर करने के लिए कहा था। एक हफ्ते बाद भी हालात जस के तस हैं। बता दें, इस अस्पताल में उदयपुर संभाग के 6 जिलों समेत रतलाम, नीमच, सिरोही, पाली आदि के गांव-कस्बों से रोज हजारों मरीज और उनके परिजन आते हैं।