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सोने के जेवर पर हॉलमार्किंग जरूरी, बिल नहीं बनने से तस्करों के हो रहे है बल्ले—बल्ले

सोने के जेवर में किसी तरह की कोई मिलावट नहीं हो इसके लिए सरकार ने हॉलमार्क साइन अनिवार्य कर दिया हैं। इसकी मदद से सोने की गुणवत्ता का आंकलन आसानी से लगाया जा सकेगा लेकिन सरकार की यह अनिवार्यता व्यापारियों के लिए मुसीबत बनती जा रही है। सबसे बड़ी परेशानी है आ रही है वह है एचयूआईडी और बेसिक इन्फ्रास्टक्चर की। उदयपुर में हॉलमार्किंग का एक ही सेंटर हैं लेकिन यहां पर उदयपुर के साथ—साथ पूरे संभाग के व्यापारी हॉलमार्किंग के लिए आ रहे है इससे एक जेवर पर हॉलमार्किंग करवाने में चार से पांच दिन लग जाते है। इसके अलावा व्यापारियों को कई परेशानियों का सामना करना पड रहा है। आइए जानते है कि व्यापारियों को हॉलमार्किंग करवाने में और किन—किन दिक्कतों का सामना करना पड रहा है।

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श्री राजस्थान सर्राफा संघ जयपुर के संरक्षक इन्दर सिंह मेहता ने बताया कि सरकार की ओर से हॉलमार्क पॉलिसी जो लागू की गई है वह सोने की गुणवत्ता की जांच करने के लिए उचित हैं लेकिन यह पॉलिसी कई व्यपारियों के लिए परेशानी का कारण बन गई है। सरकार की ओर इसको लागू तो कर दिया गया लेकिन इसके लिए जो मूलभूत सुविधाओं की आवश्यकता है उस पर किसी प्रकार से ध्यान नहीं दिया गया हैं। सरकार की ओर से लागू किए गए प्रावधान सभी सही हैं लेकिन इसके लिए उदयपुर में सेंटर्स बढ़ाने की जरूरत है। केवल एक ही सेंटर्स होने से सभी व्यपारियों को हॉलमार्किंग करवाने में चार से पांच दिन लग जाते है और कई बार सीजन में यह इससे दुगुना समय भी लग जाता है। उदयपुर के अलावा डूंगरपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़ प्रतापगढ राजसंमद और भीलवाड़ा में सेंटर्स नहीं होने से व्यापारी यहां पर आने को मजबूर है। हांलाकि उनके आने जाने का खर्च और कीमती सामान को लेकर परिवहन करना व्यापारियों के लिए जान को खतरे में डालने के बराबर है। व्यापारियों के साथ रास्ते में अगर कोई घटना दुर्घटना होती है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा। इस तरह के जोखिम से बचने के लिए सरकार को हॉलमार्किंग सेंटर्स को प्रमोट करना होगा।

 

सरकार की ओर से 13 से 15 प्रतिशत टैक्स गोल्ड पर लगाया जा रहा हैं। इससे धोखाधड़ी बढ़ रही हैं। जब कोई व्यापारी सोना खरीदता है तो केश में वह सोना 60000 रु. का उसको भुगतान करना पड़ता हैं लेकिन जब वह बिल से भुगतान करता है तो उसको 64000 रु. का भुगतान करना होगा ऐसे में कोई व्यापारी बिना बिल के ही कस्टमर को ज्वैलरी बेच देते हैं। इसमें व्यापारी धोखाधड़ी का शिकार हो जाता हैं। उन्होंने बताया कि इस संबंध में कई बार हमारी ओर सरकार को ज्ञापन दिए गए है लेकिन उसका कोई असर नहीं हुआ है। वहीं गोल्ड की ज्वैलरी पर एचयूआईडी नम्बर अंकित होता हैं।

यदि कोई कस्टमर इसमें बदलाव करना चाहता है तो एचयूआईडी का नम्बर बदलने के लिए कम से कम तीन या चार दिन का समय लगता हैं ऐसे में फिर से व्यापारियों को पुन: उसी प्रोसेस से गुजरना पडता है जो कि पहले उसने अपनाया हो। मेहता का कहना है कि सरकार को नितियों पर फिर से एक बार विचार करना चाहिए और नए प्रावधान बना कर इसको तैयार करना चाहिए। जिससे न तो किसी कस्टमर को परेशानी का सामना करना पड़े न ही व्यापारियों को इस समस्या से जूझना पड़े।

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