जीएसटी काउंसिल की 56वीं बैठक में कर संरचना को सरल बनाने के लिए बड़ा फैसला लिया गया है। चार स्लैब घटाकर दो कर दिए गए हैं। स्वास्थ्य व बीमा सेवाओं पर जीएसटी शून्य करने से आम आदमी की जेब में सीधी राहत पहुँचेगी। उद्योग जगत ने इस कदम का स्वागत करते हुए इसे निवेश और उपभोग बढ़ाने वाला बताया है।
आम आदमी को बड़ा तोहफ़ा
पीएचडी चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष हेमन्त जैन ने कहा कि फेस्टिव सीजन से पहले सरकार ने उपभोक्ताओं को बड़ा तोहफ़ा दिया है। बीमा और स्वास्थ्य सेवाओं पर जीएसटी हटने से वित्तीय सुरक्षा बढ़ाना आसान होगा, जबकि आवश्यक वस्तुएँ सस्ती होंगी।

उद्योग और निवेश को उम्मीद
एसोचैम के महासचिव मनीष सिंघल के मुताबिक कीमतें घटने से उपभोग बढ़ेगा, उत्पादन तेज़ होगा, निवेश और लॉजिस्टिक्स सेक्टर में नई जान आएगी। ट्रक से लेकर ट्रैक्टर तक जीएसटी में कटौती ग्रामीण मांग को बल देगी। उद्योग जगत का मानना है कि सरल कर ढाँचा ईज-ऑफ-डूइंग बिजनेस को मजबूती देगा और एमएसएमई वर्ग के लिए अनुपालन आसान करेगा। इंडस्ट्री लीडर्स का अनुमान है कि घटे हुए कर दरों से उपभोग बढ़ेगा और निवेशकों का विश्वास मजबूत होगा, जिससे शेयर बाज़ार में सकारात्मक संकेत मिलेंगे।
संभावित चुनौतियाँ और नुकसान
राजस्व पर दबाव : कम दरों से शुरुआती समय में कर संग्रह घटने की संभावना।
लक्जऱी वस्तुएँ महंगी : संतुलन बनाने के लिए प्रीमियम उत्पादों पर कर अधिक।
संक्रमण काल की दिक्कत : नई दरों से कारोबारियों को बिलिंग व आईटी सिस्टम बदलना पड़ेगा।
दीर्घकालिक स्थिरता : उपभोग में अस्थायी वृद्धि से लंबे समय तक असर सुनिश्चित नहीं।

आत्मनिर्भर भारत की दिशा
हेमन्त जैन का कहना है कि यह कदम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत विजऩ को गति देगा। ट्रंप टैरिफ से उत्पन्न दबाव के बाद यह सुधार भारत की ग्रोथ स्टोरी को तेज करेगा और भारतीय बाजार को प्रतिस्पर्धी बनाएगा।
निष्कर्ष
नया जीएसटी ढाँचा उपभोक्ताओं, उद्योग और ग्रामीण बाजार के लिए अवसरों के नए द्वार खोल सकता है। हालांकि, राजस्व प्रबंधन और क्रियान्वयन की चुनौतियों को नजरअंदाज़ नहीं किया जा सकता। संतुलित रणनीति और पारदर्शिता से यह सुधार भारतीय अर्थव्यवस्था में नया अध्याय जोडऩे की क्षमता रखता है।




