दीपावली त्यौहार के नजदीक आते ही बाजार में मिट्टी के दीपक बनकर तैयार हैं हांलाकि चाइनीज दीपक के साथ—साथ अन्य सजावटी सामान के बाजार में कम मूल्य में मिलने से मिट्टी के दीपक बनाने वाले कारीगरों के लिए अपना घर चलाना मुश्किल हो रहा हैं।
भगवान श्रीराम जब अयोध्या लौटे थे तब मिट्टी के दीपक जलाकर सभी ने दीपावाली का त्यौहार मनाया था और तब से लगातार दीपावली पर मिट्टी के दीपक जलाए जाते है लेकिन अब धीरे—धीरे मिट्टी के दीपक की खरीददारी कम होती जा रही हैं। दीपावली के मौके पर बाजार में मिट्टी के दीपक के साथ—साथ विदेशी साजो सामान बिक्री अधिक होने से मिट्टी के दीपक के खरीददार कम रह गए हैं। केवल और केवल पूजा के साथ — साथ जरूरत के स्थान पर ही मिट्टी के दीपक को काम में लिया जा रहा हैं कारीगरों का भी मानना हैं कि मिट्टी का काम करके घर चलाना मुश्किल हो रहा हैं।