उदयपुर नगर विकास प्रन्यास की जगह उदयपुर डवलपमेंट आर्थोरिटी की घोषणा का अब विपरित असर पड़ता दिखाई दे रहा हैं। यूडीए के अंतर्गत आने वाले गांवो में आदिवासियों की संख्या अधिक होने से वे इसका खुलकर विरोध कर रहे हैं।
गुरूवार को जिला कलेक्ट्रेट के बाहर हजारों की संख्या में आदिवासियों ने आक्रोश रैली निकालकर यूडीए का विरोध किया। आदिवासी समाज के नेताओं ने जिला कलेक्टर के मार्फत सरकार तक अपनी बात पहुंचायी। इन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने संविधान का उल्लघंन करते हुए यूडीए की घोषणा की हैं। इससे पहले नगर विकास प्रन्यास के अंतर्गत लिए गए गांवो का विकास नहीं हुआ बल्कि आदिवासियों की जमीनों को लेने से वे बर्बाद पूरी तरह से बर्बाद हो गए। आक्रोश रैली में उदयपुर सहित आसपास के जिलों के लोग भी पहुंचे थे।
आदिवासी समाज का नेतृत्व करने वाले प्रतिनिधियों से गहलोत सरकार के यूडीए के फैसले को गलत बताया। उन्होंने कहा कि संविधान का उल्लघंन करते हुए आनन — फानन में यह आदेश जारी किया हैं। इस आदेश के बाद यूडीए के अंतर्गत आने वाले सभी गांवो में विकास के नाम पर पंचायतीराज को खत्म कर दिया जाएगा लेकिन वे ऐसा नहीं होने देगें। ग्राम सभा के अधिकार सुरक्षित रहे और गांवो में पंचायतीराज लागू रहे। इसके लिए वे अंतिम समय तक लड़ते रहेंगे।