अच्छी खबर है कि आखिरकार टूरिस्ट सिटी उदयपुर में 7 साल बाद फिर टॉय ट्रेन (बच्चों की रेलगाड़ी) गुलाब बाग में ट्रैक पर है। पहले यह अरावली एक्सप्रेस थी। अब नए कलेवर में नए नाम महाराणा प्रताप एक्सप्रेस के नाम से पुकारी-जानी जाएगी। ट्रेन का औपचारिक उद्धाटन हो चुका और अब यह पर्यटकों को लेकर छुक-छुक भी करने वाली है।
ट्रेन की बहाली करवाने वाला नगर निगम खुश है, क्योंकि इससे हर साल ठेकेदार के जरिए लाखों रुपए की कमाई होगी। लेकिन ट्रेन की शुरुआत से पहले इसी ट्रैक पर सवाल भी दौड़ने लगे हैं। सबसे बड़ा सवाल- यह ट्रेन शहर के ऑक्सीजन पॉकेट गुलाब बाग में ही क्यों? तर्क दिए जा सकते हैं कि ट्रेन न डीजल से चलेगी, न पेट्रोल से, इसलिए यह पोल्यूशन फ्री है और ऑक्सीजन पॉकेट पर प्रदूषण का कोई हमला नहीं होगा।
दूसरी दलील ये कि गुलाब बाग ट्रेन के कारण पर्यटकों से बारह महीने आबाद रहेगा। लेकिन इन दलीलों पर यक्ष प्रश्न ये भी है कि हम पर्यटकों को दिखाएंगे क्या? गुलाब बाग में बर्ड पार्क के अलावा ऐसा क्या है जो पर्यटकों का ठहराव बढ़ा सके? परिसर में ऐतिहासिक सरस्वती लाइब्रेरी, सरसब्ज बगीचे और कुछ धर्म स्थल भी हैं, लेकिन वहां तक कितने टूरिस्ट पहुंचते और रुकते हैं?
वन विभाग के आंकड़े भी बताते हैं कि बर्ड पार्क में रोज औसत 166 पर्यटक आते हैं, जबकि बायोलॉजिकल पार्क में यह आंकड़ा इससे करीब 1000 पार है। बायो पार्क में सुविधा के नाम पर सिर्फ गोल्फ कार्ट, टूरिस्ट ग्रुप या परिवार बड़ा है तो अलग-अलग सैर ऑक्सीजन पॉकेट गुलाब बाग 100 एकड़ यानी करीब 40 हेक्टेयर में फैला है। बायो पार्क इससे कुछ ही छोटा है। यह 36 हेक्टेयर यानी करीब 89 एकड़ तक है।
आधिकारिक आंकड़े बायो पार्क का दायरा 5.19 वर्ग किलोमीटर तक बताते हैं। इतने फैलाव के बावजूद पर्यटकों के लिए सुविधा के नाम पर सिर्फ गोल्फ कार्ट हैं, जिनमें एक बार में पूरा परिवार नहीं बैठ सकता। गुलाब बाग को लेकर एक तथ्य ये भी है कि चिड़िया घर की शिफ्टिंग के बाद इसमें आने वालों की संख्या पहले जैसी नहीं रही है। अभी सिर्फ बर्ड पार्क है।
वन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक मई-2023 में अब तक करीब 5000 पर्यटक बर्ड पार्क देखने पहुंचे हैं। दूसरी ओर इसी साल 4 अप्रैल से 5 मई के बीच करीब 31000 पर्यटकों ने बायोलॉजिकल पार्क की सैर की है। गुलाब बाग में टॉय ट्रेन चलाने के पीछे यह भी कहा जा रहा है कि इसमें सैर के साथ पर्यटक बर्ड पार्क के परिंदे भी देख सकेंगे, लेकिन पेंच ये कि अव्वल तो चलती ट्रेन में बैठकर पक्षियों को निहारा नहीं जा सकता। दूसरा पक्षी दिखाने के लिए ट्रेन रोकने की योजना नहीं है।
कुल मिलाकर पक्षी दर्शन के लिए पर्यटकों को पैदल ही एक से दूसरे पिंजरे तक जाना होगा। बायो पार्क में भी ऐसी ही चुनौतियां हैं, लेकिन सबसे बड़े आकर्षण शेर-बाघ, तेंदुए, सांभर-हिरण, सियार-हायना, भालू-जंगली सूअर, मगरमच्छ-घडिय़ाल जैसे वन्यजीवों को देखने के लिए रोज सैकड़ों पर्यटकों का पहुंचना भी सबसे बड़ी दलील है।
गुलाब बाग में नगर निगम ने सीएनजी वाली टॉय ट्रेन की पहल की है। बर्ड पार्क संचालित करने वाला वन विभाग अपने ही बायोलॉजिकल पार्क में भी ऐसी शुरुआत करवा सकता है। इससे एक तरफ हर साल लाखों पर्यटकों को सहूलियत मिलेगी, दूसरी तरफ वन विभाग भी रेवेन्यू जनरेट कर सकता है। इसी कमाई से बायो पार्क के विकास के नए-नए रास्ते भी खुल सकते हैं।