नवरात्रि के तीसरे दिन मां दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा का विधान है। मां चंद्रघंटा सिंह की सवारी करती हैं। दस भुजाओं वाली चंद्रघंटा स्वरूप में देवी एक तरफ कमल और कमंडल तो दूसरी ओर शत्रुओं के नाश के लिए त्रिशूल, गदा और खड्ग जैसे अस्त्र भी धारण करती हैं।
करणी माता मंदिर
बीकानेर के प्रसिद्ध करणी माता मंदिर से प्रेरित उदयपुर का यह करणी माता मंदिर मनोकामना सिद्ध होने के कारण श्री मंशापूर्ण करणी माता मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। करणी माता को करणी जी एवं नारी बाई नाम से भी जाना जाता है।
उदयपुर में करणी माता मंदिर की स्थापना महाराणा कर्ण सिंह ने 1620 और 1628 के बीच करवाया था। करणी माता को राजस्थान के राजा-महाराजाओं की कुल माता माना जाता है, प्रत्येक महाराज युद्ध में प्रस्थान से पहले माँ करणी का आशीर्वाद अवश्य ही लेते थे।
मान्यताओं के अनुसार दिन में दो बार इस मंदिर के दर्शन अत्यधिक शुभ माने जाते हैं। अर्थात यदि आप सुबह एवं शाम दोनों ही समय मंदिर के दर्शन करते हैं, तो करणी माता स्वयं आपकी आकांक्षाओं और इच्छाओं को पूरा करती हैं।