भीलवाड़ा जिले में 14 साल की बच्ची से गैंगरेप के बाद जलाने के आरोपियों ने हैवानियत शब्द को भी शर्मसार कर दिया। दुष्कर्म के बाद दरिंदों ने बच्ची के शरीर को कोयले की भट्टी में आग के हवाले कर दिया था, लेकिन कुछ हिस्सा जलने से रह गया। काली करतूत छिपाने और सुबूत मिटाने के लिए अधजले हिस्से एक किलोमीटर दूर तालाब में फेंक दिए।
पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि दो दिन चले सर्च ऑपरेशन के बाद शुक्रवार सुबह तालाब में नाबालिग के शरीर के हिस्से मिले हैं। मामले में गुरुवार देर रात तक पुलिस ने 4 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इसके अलावा आरोपियों के परिवार की 4 महिलाओं को भी हिरासत में लिया गया है। मुख्य आरोपी कान्हा (21) पुत्र रंगलाल व उसके भाई कालू (25) पुत्र रंगलाल, शाहपुरा पालसा निवासी संजय (20) पुत्र प्रभु व अरवड फुलिया कला निवासी पप्पु (35) पुत्र अमरनाथ उर्फ अमरा को गिरफ्तार कर लिया है।
अभी तक की पूछताछ में सामने आया है कि नाबालिग से कान्हा व उसके भाई कालू ने रेप किया था। जहां गैंगरेप वो खेत बच्ची पिता का ही, 4 महीने पहले ठेके पर दिया था जिस जगह वारदात की गई, वह खेत पीडि़ता के पिता का है, जो उसके घर से डेढ़ किलोमीटर दूर है। यहां पर कोयला बनाने के लिए पांच भट्टे हैं, जिन्हें दो साल से किराए पर चलाया जा रहा था। चार महीने पहले ही खेत में ये भट्टे पीडि़ता के पिता ने आरोपियों को किराए थे। उसने सोचा भी नहीं था, जिन्हें वो भट्टा किराए पर दे रहा है, वही उसके परिवार के दुश्मन बन जाएंगे।
चार महीने से यहां कोयला बनाने का काम हो रहा था। यहां काम करने वाले लोगों का नाबालिग के घर आना-जाना भी था, इसलिए वे परिवार को भी अच्छी तरह से जानते थे। हमेशा मां-बाप के साथ जाती थी, पहली बार अकेली गई नाबालिग के पिता ने बताया कि उनकी बेटी कभी घर से अकेली नहीं निकली। बेटी, उसकी मां और मेरी रोज की यही दिनचर्या थी कि हम लोग साथ में ही मवेशी चराने निकलते थे। बेटी कभी बोल भी देती कि मैं अकेली जा रही हूं तो मां उसका साथ नहीं छोड़ती। बुधवार को परिवार में कोई विवाद हो गया था।
रिश्तेदारी में इस विवाद को सुलझाने के लिए हमें जाना जरूरी था। इस वजह से हम लोग बुधवार को वहां चले गए। बेटी अकेली थी तो उसने सोचा कि वह मवेशी लेकर निकल जाए। सुबह करीब 8 से 9 बजे के बीच वह मवेशी लेकर निकल गई और इसके बाद वह नहीं लौटी। पीडि़ता की मां ने बताया कि जब उनकी बेटी दोपहर 3 बजे तक घर नहीं आई तो उसे ढूंढते हुए खेत पर गई थी। उस समय खेत में कोई भट्टी नहीं जल रही थी।
इस दौरान आरोपियों से पूछा भी कि मेरी बेटी कहां है तो वे अनजान बन गए। इसके बाद मां घर आ गई। शाम को गांव के लोगों को बताया तो उन्होंने ढूंढना शुरू किया। इस दौरान दोबारा वो लोग खेत की तरफ गए तो भट्टी जल रही थी। ग्रामीणों ने काम करने वाले लोगों से सख्ती से पूछताछ की तो वे डर गए। इसी बीच किसी ने बताया कि बेटी का जूता यहीं पड़ा है। आरोपियों को लगा कि अब सारी बात सामने आ गई है, तब जाकर उन्होंने बताया कि नाबालिग का एक हाथ काटकर भट्टी में जला दिया और शव तालाब में फेंक दिया।