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उदयपुर में दिखा दुर्लभ प्रजाति का ब्लैक हेडेड रॉयल स्नैक

उदयपुर। वागड़—मेवाड़ की समृद्ध जैव विविधता में कई दुर्लभ जीव—जन्तुओं, सरीसृपों और वनस्पतियों के मिलने की श्रृंखला लगातार जारी है। इसी श्रृंखला में मंगलवार को शहर में पहली बार एक दुर्लभ प्रजाति का सांप ब्लैक हेडेड रॉयल स्नेक देखा गया। शहर की एक बस्ती से रेस्क्यू करते हुए इसे वन विभाग के निर्देशन में सुरक्षित वन क्षेत्र में मुक्त किया गया है।

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पर्यावरणीय विषयों के जानकार भानुप्रतापसिंह ने बतया कि मंगलवार सुबह 9 बजे सेव एनिमल रेस्क्यु टीम के पास शहर की पुला कच्ची बस्ती स्थित एक घर में एक अजीब सांप दिखाई देने की सूचना मिलने पर प्रकाश गमेती ने अपनी टीम के साथ मोके पर जाकर इस दुर्लभ सांप का रेस्क्यू किया। पहली बार देखे गए इस सांप के बारे में जानकारी न होने पर टीम के विशेषज्ञ भानुप्रताप सिंह को बताया तो उन्होंने जानकारी दी कि यह ब्लैक हेडेड रॉयल स्नेक है और यह सांप आम तौर पर यहां नहीं पाया जाता है। सिंह के अनुसार हिन्दी में इसे रजतबंसी कहा जाता है व यह एक दुर्लभ प्रजाति का सांप है जो सीकर, बीकानेर, बाड़मेर, जोधपुर और जैसलमेर जैसे इलाकों में पाया जाता है।

उदयपुर में इस सांप का मिलना बहुत अनोखी बात है। सिंह ने बताया कि रिहायशी इलाके में अगर कहीं भी सांप, बंदर या कोई भी वाइल्ड लाइफ असुरक्षित दिखे तो सेव एनिमल रेस्क्यू टीम को मोबाइल नंबर 9653906048 पर संपर्क कर बतावें। उन्होंने बताया कि सांप के संबंध में विस्तृत जानकारी संकलित कर इस सांप को वन विभाग के सहायक वनपाल भेरूलाल गाडरी के निर्देशन में सुरक्षित वन क्षेत्र में मुक्त किया गया।

पश्चिम भारत का प्रतिष्ठित सांप है : डॉ. शर्मा

ख्यातनाम पर्यावरणविद डॉ. सतीश शर्मा ने बताया कि ब्लैक-हेडेड रॉयल स्नैक देश के सबसे बड़े कोलुब्रिड परिवार के सदस्यों में से एक है। 2 मीटर तक के आकार और पीले-नारंगी और काले रंग के शरीर की सुंदर उपस्थिति के साथ यह प्रजाति पश्चिमी भारत के लिए प्रतिष्ठित सांप मानी जाती है। उदयपुर में इसका देखा जाना बहुत ही महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि अपने संपूर्ण जीवन में यह सांप तीन अलग—अलग रंग पैटर्न में देखा जाता है। इसमें वयस्कों को पूरे शरीर में कम या ज्यादा काले धब्बों के साथ लाल-भूरे या नारंगी रंग के द्वारा आसानी से पहचाना जा सकता है। इसका शरीर पतला और छिले हुए शल्कों से ढका होता है।

यह जीवन के विभिन्न चरणों में भिन्नताएँ दर्शाता है। इसके किशोर हल्के भूरे या पीले-नारंगी रंग के होते हैं और पूरे ऊपरी शरीर पर बड़े चौकोर या अंडाकार गहरे भूरे रंग के धब्बों की एक श्रृंखला होती है। किशोरों के सिर पर काले निशान होते हैं जिनमें आंखों के बीच एक मोटी पट्टी होती है, इसके बाद सिर के पीछे एक और तीर जैसी पट्टी होती है। इसके वयस्क नारंगी, नारंगी-भूरे या पीले रंग के होते हैं और पूरे शरीर पर अनियमित मात्रा में काले धब्बे बिखरे होते हैं। वयस्कों में सिर नीलापन लिए हुए काला या लाल-काला होता है।

उप-वयस्क पैटर्न में मध्यवर्ती रूप दिखाते हैं। इसका निचला भाग आमतौर पर गुलाबी गुलाबी होता है, जिसमें विभिन्न मात्रा में अनियमित रूप से बिखरे हुए काले धब्बे होते हैं। इसका सिर थोड़ा दबा हुआ, लम्बा, त्रिकोणीय और गर्दन की तुलना में चौड़ा होता है। इसकी आँखों की पुतली गोल होती है। शर्मा ने बताया कि यह गुजरात, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान, दिल्ली, जम्मू और कश्मीर में पाया जाता है।

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