कभी बारिश और कभी धूप के साथ पारे के उतार-चढ़ाव के बीच उदयपुर में मौसमी बीमारियों ने दस्तक दी है। जिले के आदिवासी बहुल कोटड़ा में मलेरिया के आधा दर्जन केस सामने आने के बाद चिकित्सा टीमें मुस्तैदी से जुटी हैं। इधर, शहर में आई फ्लू ने दस्तक दी है।
बड़ी संख्या में शहरवासी इसकी शिकायत लेकर एमबी अस्पताल पहुंच रहे हैं। इधर, चिकित्सकों का कहना है कि आई फ्लू भी संक्रामक रोग है, जो छूने से फैलता है। ऐसे में कुछ दिन एक-दूसरे से हाथ मिलकर मिलने के बजाय हाथ जोड़कर नमस्कार अभिवादन ही बेहतर है। क्योंकि यह सावधानी ही इस परेशानी से बचाएगी।
एक ही तरह का नहीं होता यह संक्रमण,
वायरल कंजक्टिवाइटिस : यह आम है, जो वायरल संक्रमण से होता है। यह अक्सर वही वायरस होते हैं, जो सामान्य सर्दी का कारण बनते हैं। यह संक्रमित आंखों के तरल पदार्थ के संपर्क में आने से फैलता है और बहुत संक्रामक होता है। आंखें लाल होना, फ्लूइड डिस्चार्ज, खुजली और प्रकाश संवेदनशीलता इसके लक्षण हैं। अमूमन एक-दो सप्ताह में अपने आप ठीक हो जाता है।
बैक्टीरियल कंजक्टिवाइटिस : यह संक्रमण स्टेफिलोकोकस ऑरियस और स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनिया बैक्टीरिया से होता है। इससे आंखों के चारों ओर रेडनेस, सूजन, चिपचिपा या मवाद जैसा डिस्चार्ज होने लगता है। फिर पपड़ी जम जाती है। यह बहुत संक्रामक भी हो सकता है। बैक्टीरियल कंजक्टिवाइटिस का इलाज आमतौर पर एंटीबायोटिक आई ड्रॉप या मल्हम से किया जाता है।
एलर्जिक कंजक्टिवाइटिस : परागकण, पालतू जानवरों के डेंड्रफ, धूल के कण या कुछ रसायनों सहित अन्य एलर्जी आई फ्यू के इस प्रकार का कारण बन सकती है। दोनों आँखों में गंभीर जलन, रेडनेस और तरल डिस्जार्च इसके लक्षण हैं। एलर्जी से बचने के अलावा एलर्जिक कंजक्टिवाइटिस का इलाज एंटीहिस्टामाइन आई ड्रॉप्स या ओरल दवाओं से किया जा सकता है और यह संक्रामक नहीं है।
केमिकल कंजक्टिवाइटिस : यह धुएं, एसिड या अल्कलाइन जैसे पदार्थों के संपर्क में आने के बाद विकसित होता है। इससे आंखों में गंभीर खुजली, रेडनेस और ब्लर विजन हो सकती है। इसके इलाज का सबसे अच्छा तरीका सबसे पहले आंखों को पानी से अच्छी तरह से धोना और फिर डॉक्टर से संपर्क करना है।
यह करेंगे तो बचे रहेंगे
-हर 2 घंटे में बार-बार हाथ धोएं या सैनिटाइज करें
-आंखों को न छुएं। चश्मा या गॉगल पहन सकते हैं।
-अगर आप आई फ्लू से संक्रमित हैं, तो खुद को आइसोलेट कर लें, जब तक आंखों से पानी आना बंद न हो।
-किसी ऐसे व्यक्ति से तौलिया, रूमाल या बिस्तर साझा करने से बचें, जिसे कंजक्टिवाइटिस है।
-कॉन्टेक्ट लेंस से बचें
-आंखों में परेशानी होने पर खुद इलाज करने से बचें।
-सार्वजनिक स्थानों और भीड़-भाड़ वाले स्थानों, विशेषकर सार्वजनिक स्विमिंग पूल से बचें।