शहर में हाईकोर्ट बेंच की मांग पर हर महीने की 7वीं तारीख पर आंदोलन की शृंखला में शुक्रवार को भी कोर्ट परिसर के बाहर प्रदर्शन हुआ। प्रमुख राजनीतिक पार्टियों के जिलाध्यक्षों को भी बुलावा था। भाजपा शहर अध्यक्ष रवींद्र श्रीमाली आए, लेकिन कांग्रेस के निवृत्तमान शहर अध्यक्ष गोपाल शर्मा नदारद थे। कांग्रेस से प्रतिनिधित्व के नाम पर नगर निगम के पूर्व नेता प्रतिपक्ष दिनेश श्रीमाली थे। आम आदमी पार्टी की ओर से भी प्रतिनिधित्व रहा। संघर्ष समिति ने स्पष्ट किया कि मेवाड़ की इस मांग को लेकर सिर्फ राजनीतिक मुंह दिखाई से काम नहीं चलेगा, आलाकमान पर दबाव भी बनाना होगा।
हाईकोर्ट बेंच संघर्ष समिति की अगुवाई में बार एसोसिएशन से जुड़े सभी वकीलों ने प्रदर्शन में हिस्सा लिया। इससे पहले इन सभी ने न्यायिक कार्यों का बहिष्कार किया। इसके चलते पक्षकारों को परेशानी हुई। संघर्ष समिति के संयोजक रमेश नंदवाना ने कहा कि दूसरे राज्यों में भी जहां-जहां हाईकोर्ट बेंच की शुरुआत हुई, वहां राजनीतिक इच्छा शक्ति भी बड़ा घटक रही है।
उदयपुर भी इस इच्छा शक्ति के बिना अपनी यह जरूरत कभी पूरी नहीं कर सकता है। क्योंकि इस मुद्दे पर नेता-मंत्रियों से करीब 3 दशक से आश्वासन तो मिलते ही आए हैं। जब तक हाईकोर्ट बेंच नहीं दी जाती, तब तक ओडिशा की तरह वर्चुअल हाईकोर्ट बेंच शुरू करनी चाहिए। ओडिशा में ऐसी 19 अदालतों के जरिए न्याय दिया जा रहा है। बार अध्यक्ष राकेश मोगरा, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष शांतिलाल चपलोत, बार के पूर्व अध्यक्ष रामकृपा शर्मा, मनीष शर्मा, आम आदमी पार्टी के प्रतिनिधि भी मौजूद थे। इसके अलावा मुस्लिम, सिख समुदाय और धार्मिक-सामाजिक संस्थाओं और संगठनों से भी प्रतिनिधि शामिल हुए।