उदयपुर जिले के गोगुंदा कस्बे में एसबीआई बैंक के बीसी पाइंट के संचालको ने खुली लूट मचा रखी हैं। आदिवासियों को बिना जानकारी दिए उनके हस्ताक्षर करवाकर पैसे निकालने का मानों प्रचलन चल पड़ा हो। भारत सरकार ने गांवों में लोगों की सहूलियत के लिए आईडी आवंटित कर रखी हैं, ताकि लोगों को बैंक में जाकर लंबी लंबी कतारों में नहीं लगना पड़े और उनका काम आसानी से हो जाए लेकिन इसके विपरित बैंक बीसी जमकर गरीब आदिवासी अनपढ़ लोगों से पैसे लूट रहें हैं।
गोगुंदा कस्बे के बस स्टैंड पर स्थित मारवाड़ ई- मित्र एवं बैंक बीसी के यहां 17 मई को सिवड़िया निवासी राधा पति सुरेश गमेती अपने समूह लोन की किश्त के 10 हजार रुपए निकालने गई। जहां मौजूद ऑपरेटर ने महिला से अंगूठा लगवाकर उसके खाते से 10 हजार 500 रूपये निकाल लिए। उसके बाद महिला अपने घर चली गई। महिला 22 मई को पुनः अपने पति के साथ किश्त निकालने गोगुंदा कस्बे पहुंची। जहां अन्य बीसी के पास से पैसे निकलवाए और स्टेटमेंट निकलवाया। स्टेटमेंट में 17 मई के ट्रांजेक्शन में 10 हजार के स्थान पर 10 हजार 500 रूपये विड्रोल किए हुए थे।
राधा गमेती ने बताया की पति के साथ बीसी के पास 500 रूपये ज्यादा निकालने के बारे में पूछा तो बीमा राशि कटने का बोल कर गोलमाल जबाव दे दिया। जबकि राधा ने बताया कि कोई बीमा नहीं करवाया हैं। उसके बावजूद मेरे खाते से बिना जानकारी के 500रूपये ज्यादा निकाल लिए। आपको बता दे की पीड़ित आदिवासी परिवार का अनपढ़ होने की वजह से मौके पर स्टेटमेंट और डिटेल नहीं देख पाया, इसलिए उसे आज इस बारे में जानकारी हुई।
वहीं पूर्व में भी बैंक बीसी निशा गहलोत की कई शिकायतें सामने आ चुकी हैं जिसमें एक पीड़ित महिला ने 1 साल से इस के यहां ₹10000 लेने के लिए सैकड़ों चक्कर काटे इसके बाद पीड़ित महिला ने श्रम सारथी एसोसिएशन को लिखित शिकायत दर्ज करवाई जिस पर श्रम सारथी एसोसिएशन ने लोकपाल को शिकायत करने के बाद पीड़ित महिला को एक साल बाद उसके घर पर जाकर माफीनामा मांग 10000 के बदले ₹12000 चुकाये लेकिन उस वक्त भी अधिकारियों ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की थी। इसके बाद से इस के हौसले बुलंद हो गये। आज जब इस बारे में एसबीआई के बैंक मेनेजर पंकज कुमार गोयल से बात की तो उन्होंने कहा की शिकायत हुई हैं तो 17 मई से अब तक की बीसी के बेलेंस शीट की डिटेल मंगा कर जांच की जाएगी।