उदयपुर शहर के महाकाल मंदिर में उज्जैन की तर्ज पर सावन के दूसरे सोमवार को भगवान महाकालेश्वर की विधि विधान परम्परागत रूप से अभिजित मुर्हूत में रजत पालकी में सवार हो वन भ्रमण पर निकले।
प्रन्यास अध्यक्ष तेजसिंह सरूपरिया ने बताया कि सावन मास के दूसरे सोमवार को महाकालेश्वर का विधि विधान से पूजा अर्चना कर सहस्त्र धारा अभिषेक कर रूद्री पाठ किया गया। प्रन्यास सचिव चन्द्रशेखर दाधीच ने बताया कि श्रावण के द्वितीय सोमवार और सोमवती अमावस्या होने पर बडी संख्या में भक्त जलाभिषेक करने पहुंचे। इसके बाद विशेष पूजा अर्चना मंदिर की गई।
सावन महोत्सव समिति के अध्यक्ष सुनील भट्ट और सहसंयोजक देवेन्द्र जावलिया ने बताया कि भगवान महाकालेश्वर के प्रतिकात्मक स्वरूप का विशेष श्रृंगार धरा उन्हें रजत पालकी में बिराजित कर अभिजित मुर्हूत रूद्राक्ष भवन से सभा मण्डप ले जाया गया। जहां आशुतोष भगवान की पूजा कर निज मंदिर की परिक्रमा कर नक्षत्र वाटिका में वन भ्रमण हेतु ले जाया गया जहां बडी संख्या में महिलाओं और पुरूषों ने आशुतोष भगवान के जयकारे लगाते हुए महाआरती कि तथा लोक कल्याण हेतु प्रभु से प्रार्थना की।