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क्या धरना, प्रदर्शन और सड़क जाम ही अधिकारियों को जगाने का विकल्प, हुआ प्रदर्शन तो शनिवार को हुई सफाई

उदयपुर। शहर के शोभागपुरा में गंदगी से परेशान स्कूली छात्रों और स्थानीय निवासियें द्वारा लगाए गए जाम के बाद शनिवार को यूआईटीके अधिकारियों ने साफ-सफाई करवा दी। जाम और प्रदर्शन के बाद त्वरित हुई कार्यवाही को देखकर ऐसा लग रहा है कि सो रहे अधिकारियों और प्रशासन को जगाने के धरना-प्रदर्शन और सड़क जाम करना ही एक मात्र विकल्प है।

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शोभागपुरा के वाशिन्दें कई समय से क्षेत्र में हो रही गंदगी से काफी परेशान है और विशेषकर शोभागपुरा उच्च माध्यमिक विद्यालय के बाहर तो गंदगी का अंबार लगा हुआ था, जिससे यहां पर पढ़ने आने वाले बच्चों को ऐसा लगता था कि मानों वे शिक्षा के मंदिर में नहीं, किसी गंदगी के नर्क में आ गए है। यह क्षेत्र यूआईटी पैराफेरी के अधीन आता है, ऐसे में यहां पर सफाई करवाना यूआईटी की ही जिम्मेदारी है। कई बार स्थानीय लोगों ने यूआईटी अधिकारियों से सम्पर्क किया पर कोई कार्यवाही नहीं हो पाई।

शनिवार को मौके से सारा कचरा उठ गया और गंदगी भी साफ

सोए अधिकारियों के जगाने और साफ-सफाई के अपने अधिकारों के लिए क्षेत्रवासियों ने शोभागपुर मार्ग जाम कर दिया। जिसके बाद मौके पर अधिकारी आए और सफाई करवाने का आश्वासन दिया। इसके बाद शनिवार को मौके से सारा कचरा उठ गया और गंदगी भी साफ हो गई। यह काम पहले भी बिना धरना, प्रदर्शन और सड़क जाम के बिना हो सकता था, लेकिन अपनी जिम्मेदारियों के प्रति लापरवाह अधिकारियों के लिए आम जनता की परेशानी कोई मायना नहीं रखती है, ऐसे में इन अधिकारियों को जगाने के लिए विरोध-प्रदर्शन ही एक मात्र हथियार है। कमोबेश शुक्रवार और शनिवार के मात्र 24 घंटो में हुए इस घटनाक्रम को देखकर तो यही लगता है।

यूं तो यूआईटी अपने पैराफेरी में किसी भी निर्माण को स्वीकृति देने, बड़े-बड़े भू व्यापारियों को प्लानिंग काटने की स्वीकृति देने के एवज में लाखों-करोड़ों रूपए वसूलती है पर जहां पर अपनी जिम्मेदारी की बात आती है तो वहां पर यूआईटी के अधिकारी कान में तेल डाले बैठे रहते है। शायद यूआईटी के इन जिम्मेदार अधिकारियों को पता नहीं है कि जब जनता जागती है तो सरकारों तक को झुकना पड़ता है तो ऐसे में इनकी क्या बिसात है। धरना-प्रदर्शन के बाद ही सही यूआईटी ने काम किया, पर अब यूआईटी को चाहिए कि इस तरह से शिक्षा का मंदिर तो क्या किसी भी कॉलोनी में कचरा जमा ना होने दे और स्वच्छ भारत में अपना महत्वूपर्ण योगदान दें।

क्यों नहीं देती है पंचायतों को अधिकार
यूआईटी की पैराफेरी में आने वाले गांवों में सारी सरकारी जमीन यूआईटी की होती है, जहां पर प्लानिंग काटकर बेचने का काम भी यूआईटी करती है, जिससे करोड़ों रूपए की आय होती है। ऐसे में यूआईटी को चाहिए कि कम से कम उस आय का कुछ हिस्सा स्थानीय पंचायत को भी दे, ताकी ग्राम पंचायत अपने स्तर पर बेहतरीन सफाई व्यवस्था करवा सकें।

ये नम्बर पार्षदों के, फोन कर बताएं अपनी समस्याएं, हमें भी भेजे
यह मात्र शोभागपुरा की ही स्थिति नहीं हैं। यह तो पूरे शहर की स्थिति है। कुछ वीआईपी या पॉश कॉलोनी जहां पर नेता, जनप्रतिनिधि या करोड़ों की आसामी रहते है वहां पर प्रोपर सफाई होती है पर शेष शहर की स्थिति बुरी है। शहरवासी अपनी समस्या अपने क्षेत्र के पार्षद को बताने के साथ-साथ हमें 9509920050 नबंर पर भेजे। हम हर समस्या को प्रकाशित कर उसका निवारण करवाने का प्रयास करेंगे।

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