दो माह तक नहीं होगें शादी समारोह के साथ मांंगलिक कार्य, 9 जुलाई से शुरू होंगी शादियां
अक्षय तृतीया को विवाह के लिए अबूझ मुहूर्त माना जाता है लेकिन इस बार अक्षय तृतीया पर न तो बैंड बाजो की आवाज सुनाई देगी न ही कोई विवाह के बंधन में बंधेगा। खास बात यह है कि लेकसिटी में तो अक्षय तृतीया पर कई समाजोंं द्वारा सामूहिक विवाह करवाए जाते है लेकिन इस बार ऐसा कुछ भी दिखने वाला नहीं हैं। मई ओर जून माह में गुरू ओर शुक्र ग्रह अस्त रहेंगे इसलिए किसी प्रकार का कोई मुहुर्त नहीं नहीं है ऐसे में शादियों के साथ—साथ अन्य मांगलिक कार्य भी नहीं हो सकेंगे। अब जुलाई माह में एक बार फिर से विवाह के मुहुर्त होगें ओर उस समय शादी समारोह सम्पन हो सकेंगे।
इस साल गुरु और शुक्र के अस्त रहने से अक्षय तृतीया (10 मई) पर भी शादियों का मुहूर्त नहीं है, जबकि इस पर्व को अबूझ मुहूर्त माना जाता है। अबूझ का मतलब है कि बिना मुहूर्त निकाले भी इस दिन शादी कर सकते हैं, लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा।
गुरु 5 जून तक और शुक्र 27 जून तक अस्त रहेगा
गुरु 8 मई से 5 जून तक अस्त रहेगा। वहीं, शुक्र 4 मई से 27 जून तक अस्त होगा। इस कारण मई और जून में शादी समारोह सहित किसी भी मांगलिक काम के लिए मुहूर्त नहीं होंगे। दोनों ग्रह के उदय होने के बाद 9 जुलाई से विवाह मुहूर्त शुरू होंगे।
जुलाई में सिर्फ 6 मुहूर्त, फिर 11 नवंबर तक शादियां नहीं
जुलाई में भी शादियों के लिए सिर्फ 6 मुहूर्त हैं। 15 जुलाई को सीजन का आखिरी विवाह मुहूर्त रहेगा और 17 जुलाई को देवशयनी एकादशी से चातुर्मास शुरू हो जाएगा। इस कारण दोबारा शादियों पर ब्रेक लगेगा और 16 जुलाई से 11 नवंबर तक कोई मुहूर्त नहीं रहेगा।
गुरु और शुक्र अस्त होने पर क्यों नहीं रहते शादी के मुहूर्त
सनातन परंपरा में ज्योतिषी शादी के मुहूर्त निकालने के लिए गुरु और शुक्र की गणना को बेहद खास मानते हैं। उनके मुताबिक ये दोनों ग्रह शुभ होते हैं और अच्छी मैरिड लाइफ के लिए जिम्मेदार होते हैं। जब ये दोनों ग्रह सूर्य के नजदीक आ जाते हैं तो इनका असर कम हो जाता है। गुरु और सूर्य के बीच जब 11 डिग्री का फासला रहता है तो गुरु अस्त हो जाता है। वहीं, शुक्र में यह फासला 10 डिग्री का होने पर इस ग्रह को अस्त माना जाता है।