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शादी की उम्र के फेरे : पूर्व विधायक भींडर की पीएम को चिट्ठी- यूसीसी में शादी की 16 साल करने की पैरवी

केंद्र सरकार देश में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) कानून की कवायद में है। इधर, वल्लभनगर से पूर्व विधायक और जनता सेना प्रमुख रणधीर सिंह भींडर ने प्रधानमंत्री को इस बिल में लड़कियों के लिए विवाह की न्यूनतम आयु 18 घटाकर 16 साल करने की मांग की है। पत्र में पूर्व विधायक भींडर ने कुछ तर्क भी दिए हैं, लेकिन इस मांग के साथ शहर में इस मुद्दे पर बहस छिड़ गई है।

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इस मुद्दे पर उदयपुर पत्रिका डॉट कॉम ने शहर की कुछ जागरूक महिलाओं से बात की। ये महिलाएं राजनीति और समाज सेवा में सक्रिय हैं। सबने एक ही बात पर सहमति जताई है कि 16 साल की उम्र में लड़की की शादी की बात ही बेमानी है। यह उम्र तो पढ़ने-लिखने की है। मुद्दे पर मंगलवार को शहर की महिलाओं ने क्या कहा पढ़िए…

अब पढ़िए पूर्व विधायक भींडर का केंद्र को पत्र
प्रधानमंत्री को पत्र में भींडर ने लिखा है- कुछ दिनों से यूनिफॉर्म सिविल कोड अर्थात समान नागरिक संहिता कानून (यूसीसी) की चर्चा चल रही है। इसके जल्द लागू होने की संभावना है, क्योंकि जनसंघ के जमाने से भाजपा तक हर घोषणा पत्र में इसे लागू करने की वकालत होती रही है। इस्लामी कानूनों में लड़की के युवा होने की उम्र 15 वर्ष मानी गई है।

लड़की तरुणाई प्राप्त करने के बाद सहमति से पसंद के व्यक्ति से शादी कर सकती है। परंतु हिन्दू विवाह अधिनियम के अनुसार लड़की की उम्र 18 वर्ष से अधिक होनी चाहिए। इससे कम उम्र में शादी करना जुर्म माना गया है, जिसके लिए पीसीएमए बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 कानून के तहत 2 साल तक की कैद हो सकती है। अभी लोकसभा में लड़कियों की उम्र को भी 21 करने की चर्चा चली थी जो संसद की स्थायी समिति में लंबित है।

परन्तु लॉ कमीशन इसे 18 ही रखने के पक्ष में है। हमारे प्रदेश राजस्थान में सरकार की रोक के बावजूद चोरी छिपे बाल विवाह होते आ रहे हैं। इसके प्रमुख कारण हैं. गरीबी के चलते बड़ी बच्ची की शादी के साथ छोटी की भी शादी करा दी जाती हैं, ताकि खर्चा आधा हो जाता है। बहुत सी जातियों में बड़ी उम्र में लड़के मिलते नहीं हैं। इसलिए शादी कम उम्र में करा दी जाती है। हालांकि शादी के बाद भी लड़की अपने पिता के घर ही रहती है। बालिग होने पर ही पिता उसे ससुराल लाया जाता है। इससे स्थानीय भाषा में मुकलावा कहते हैं।

वैसे भी जुवेनाइल जस्टिस एक्ट में भी उम्र 16 ही दर्शाई गई है। इसलिए प्रधानमंत्री से मांग की कि हैं कि हमारे क्षेत्र की आर्थिक स्थिति देखते हुए इस कानून में इतनी छूट दी जाए कि पिता अपनी बड़ी बेटी की शादी के साथ अगर चाहे तो खर्च बचाने के लिए छोटी की भी शादी साथ ही कर सकें। इसके लिए उम्र को 16 वर्ष कर दी जाए। इससे गरीब पिता न केवल कम खर्च में शादी करा पाएगा, बल्कि कानून की नजर में भी दोषी नहीं होगा।

बच्ची की शिक्षा की पूरी नहीं हुई तो वह दो घरों और तीन पीढ़ियों को संभालेगी कैसे?
16 साल तक तो शिक्षा भी पूरी नहीं होती। ऐसे में इस उम्र में शादी कर दी जाए तो न उन्हें शिक्षा मिलेगी, न कहीं जॉब। एक तरफ हम कहते हैं कि औरत दो घरों को तारती है। अगर वही शिक्षित नहीं होगी तो मौजूदा पीढ़ी को संभालने और नई पीढ़ी को शिक्षा देने का काम कैसे करेगी? 16 साल की उम्र में न तो वह शारीरिक रूप से सक्षम होती है, न मानसिक रूप से विकसित हो पाती है। ऐसे में इस उम्र में शादी सही नहीं कही जा सकती। –कविता जोशी, शहर जिलाध्यक्ष, भाजपा महिला मोर्चा

शादी की उम्र 18 वर्ष ही होनी चाहिए क्योंकि यह परिपक्व उम्र है। इसमें भी हम देखते हैं कि लड़कियां शादी के बाद एक विवाह का क्या मतलब है, वह समझती नहीं है और विवाद से लगातार विवाह टूटते जा रहे हैं। मेरा मानना है कि लड़कियां 16-17 साल की उम्र तक किशोर अवस्था में होती हैं और बाहरी दिखावे से ज्यादा प्रभावित होती हैं।

शादी और प्यार के मायने समझ पाने के उलट वे सहानुभूति और आकर्षण को प्यार समझ लेती हैं। ऐसी शादियां लंबे समय तक नहीं चलती हैं। समाज में विवाह विघटन की यही बड़ी वजह है। एक बात और है कि 18 साल के बाद लड़की का शारीरिक विकास भी हो चुका होता है। वह 21 वर्ष के बाद मां बनती है तो मातृ और शिशु मृत्यु दर भी कम होगी। –सुषमा कुमावत, राज्य महिला आयोग की पूर्व सदस्य

शादी के लिए 18 साल की उम्र ही सही है। इससे पहले लड़कियां किसी भी तरह से सक्षम नहीं कही जा सकती। शारीरिक रूप से तो वह कमजोर होती ही है, भावनात्मक रूप से भी मजबूत नहीं होती हैं। विवाह सिर्फ दो लोगों के जुड़ने का नाम नहीं है, दो परिवार और खानदान भी जुड़ते हैं। ऐसे में रिश्तों को कभी समझकर तो कभी सहकर सहेजने की जरूरत होती है। इसके लिए परिपक्वता जरूरी होती है-  हितांशी शर्मा, कांग्रेस पार्षद

कानून भी 18 साल से पहले किसी को वयस्क नहीं मानता। वोट देने का अधिकार भी इस उम्र का होने पर ही मिलता है। दूसरी बात ये भी है कि नाबालिगों के तो बयान को भी कानूनन चुनौती दी जाती रही है। कई मामले इसके सुबूत हैं। बाल विवाह के नुकसानों से बचने के लिए सरकार ने शादी की उम्र तय की थी। अपरिपक्व जोड़ों से मजबूत रिश्तों और खुशहाल परिवार की उम्मीद बेमानी है। बच्चियों के लिए शादी की उम्र कम करने की मांग विकास नहीं, वोट बैंक का मामला है। – कामिनी गुर्जर, जिला परिषद सदस्य, कांग्रेस

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