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तीर्थंकर स्तुति से जीवन में रस, सौंर्दय और समृद्धि : साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री

तपागच्छ की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ पर साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री एवं वैराग्यपूर्णाश्री आदि ने गुरुवार को लोगस्स सूत्र पर मांगलिक प्रवचन किए। यहां जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्वावधान में संतों का चातुर्मास हो रहा है।

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धर्म सभा में साध्वी प्रफुल्लाप्रभाश्री व वैराग्यपूर्णाश्री ने लोगस्स सूत्र की विवेचना की। कहा कि लोगस्स का पाठ क्षायिक दान को प्राप्त करने का सामर्थ्य देता है। तीर्थंकर परमात्मा के द्वारा दिया गया वर्षीदान भी भव्य उत्तम आत्मा ही पा सकता है। तीर्थंकरों का हम पर अनंत उपकार है। इसलिए उपकारी के स्मरण और गुणानुवाद से पुण्य बढ़ते हैं। तीर्थंकर स्तुति से जीवन में रस, सौंर्दय और समृद्धि का आगमन-वास होता है।

जैन श्वेतांबर महासभा के अध्यक्ष तेजसिंह बोल्या ने बताया कि प्रभु का नाम हृदय को पवित्र बनाता है। शीतलता और शान्ति प्रदान करता है। तीव्र ज्वर में कोई सिर पर ठंडे पानी की पट्टी रख दे तो कितनी शान्ति मिलती है, इसी प्रकार संसार की दावाग्नि से संतप्त प्राणी के लिए भगवान का नाम ही सहारा है। तीर्थंकरों के नाम सुमिरन के साथ जीवन-दर्शन से हमारे जीवन की दिशा और दशा बदल जाती है।

दर्पण चेहरे के दाग दिखाता है, और तीर्थकरों का जीवन दर्पण हमारे अन्तर के दोषों को दिखाते हैं। तीर्थकरों की स्तुति जीवन को सरस, सुंदर, समृद्ध और पूर्ण बनाने का अद्वितीय साधन है। तीर्थकरों की स्तुति से, स्मरण से, कीर्तन से भी हम जो चाहे वह पा सकते हैं। महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि चातुर्मास सभा में बड़ी संख्या में श्रावक शामिल हुए।

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