उदयपुर झीलों और पहाड़ों वाली टूरिस्ट सिटी उदयपुर में जल्द ही शेरों की लाइव दहाड़ें रोमांचित करेंगी। न सिर्फ पर्यटक, बल्कि वाइल्ड लाइफ के शौकीन शहरवासी शेरों को करीब से निहार सकेंगे। वन विभाग सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में लॉयन सफारी शुरू करवाने की तैयारी में है। जयपुर के बाद यह प्रदेश की दूसरी लॉयन सफारी होगी। इसके लिए सेंट्रल जू ऑथोरिटी (सीजेडए) से मंजूरी मिल चुकी है। करीब 1 करोड़ 85 लाख का बजट भी मंजूर हो गया है।
बायो पार्क के पास सज्जनगढ़ सेंचुरी से सटी वन विभाग की जमीन पर जल्द ही निर्माण से जुड़े काम शुरू करवाएंगे। बता दें, शहर में हर साल 12 लाख से ज्यादा सैलानी देश-दुनिया आते हैं। इनमें से एक बड़ा हिस्सा वन्यजीवों में दिलचस्पी रखता हैं, जो वन्यजीवों को करीब से देखना चाहता है। इसी को देखते हुए वन विभाग उदयपुर में लॉयन सफारी को साकार करने की तैयारी में है।
पिंजरे जैसी गाड़ी में हम, खुले में होंगे शेर
शुरुआत में 4 को रखेंगे, फिर कुनबा बढ़ाने के लिए बढ़ाएंगे जोड़े उप वन संरक्षक (वन्यजीव) शैतान सिंह ने बताया कि लायन सफारी 25 हेक्टेयर एरिया में बनेगी, जहां बड़े-बड़े एनक्लोजर होंगे। इस काम के लिए 185 लाख रुपए मंजूर हो चुके हैं। सफारी का फिजिकल खाका तैयार करने के साथ टेंडर प्रक्रिया शुरू की जाएगी। शुरुआती दौर में बायो पार्क के 4 शेरों को सफारी में रखा जाएगा। सीजेए से अनुमति लेकर शेरों की संख्या बढ़ाने का भी विचार है। नए शेर जोड़ों के रूप में लाएंगे, यानी मेल और फीमेल का आंकड़ा बड़ा रखा जाएगा। इससे दोहरे फायदे होंगे।
एक तरफ ये पर्यटकों को आकर्षित करेंगे। दूसरी ओर कुदरती माहौल में रहने वाले जोड़ों से उदयपुर में शेरों का कुनबा बढ़ेगा। सुरक्षा के लिहाज से पर्यटकों को पिंजरेनुमा जीप में ले जाया जाएगा। इसमें गार्ड की तैनाती भी रहेगी। यानी इंसान पर्यटक पिंजरे में रहकर जंगल के राजा को उसके कुदरती माहौल में देख सकेंगे। जयपुर में लॉयन सफारी, मार्केटिंग नहीं होने से पर्यटकों का टोटा, उदयपुर में ब्रांडिंग भरपूर जयपुर में प्रदेश की पहली और एकमात्र लॉयन सफारी नाहरगढ़ जैविक उद्यान में 36 हेक्टेयर में फैली है।
इसकी शुरुआत करीब अक्टूबर-2018 में हुई थी, लेकिन यह अब भी पहचान की मोहताज है। यहां गिने-चुने सैलानी ही पहुंच रहे हैं। बड़ी वजह ये है कि अफसरों की रुचि नहीं होने से लॉयन सफारी को ख्याति नहीं मिल पा रही है। दूसरा कारण ये भी है कि इस सफारी में साल 2019 में सीडीवी वायरस के कारण शेरनी सुजेन की मौत हो गई थी। उसके बाद शेर कैलाश व तेजस भी चल बसे। तब सफारी बंद रही। उदयपुर में स्थिति उलट है।
यहां बायो पार्क में जो शेर साल 2015 में इसकी शुरुआत के वक्त लाए गए थे, उनमें से एक को छोड़कर लगभग सभी स्वस्थ हैं। इसके अलावा पर्यटन विभाग भी शहर के सभी पर्यटक स्थलों की भरपूर मार्केटिंग कर रहा है। मानसून और विंटर डेस्टिनेशन के रूप में इसके प्रचार का ही नतीजा है कि पिछले करीब डेढ़ साल में एक महीना भी ऐसा नहीं बीता, जब एक लाख से कम पर्यटक आए हों