उदयपुर के आरएनटी मेडिकल कॉलेज के सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में कैरोटिड एंजियोप्लास्टी का पहला सफल ऑपरेशन हुआ। लकवा रोगी के दिमाग की एक नस में रक्त संचार नहीं हो रहा था। उसमें स्टंट डाला गया, जो ब्लॉक हिस्से में जाकर चिपक गया और नस को 4 सेंटीमीटर तक खोल दिया। इससे रक्त संचार तेज हो गया।
इस ऑपरेशन की सफलता में डिजिटल सब्सट्रेक्शन एंजियोग्राफी मशीन (डीएसए) का बड़ा योगदान है। यह मशीन अब तक केवल कैरोटिड एंजियोग्राफी में काम आ रही थी। पहली बार एंजियोप्लास्टी में उपयोग किया गया। न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. तरुण रेलोत का दावा है कि एंजियोप्लास्टी से लकवे के दूसरे अटैक के चांसेस कम हो गए हैं। सबकुछ सही रहा तो रक्त संचार बढ़ने से कुछ समय बाद लकवे की समस्या से भी निजात मिल जाएगी। मस्तिष्क में था खून का थक्का दरअसल, 60 साल के एक बुजुर्ग को कुछ दिन पहले न्यूरो विभाग में भर्ती किया गया था। लकवे के कारण उनके शरीर का एक हिस्सा काम नहीं कर रहा था। जांच में पता चला कि मस्तिष्क की एक नस में 85 प्रतिशत ब्लॉक है। इसके लिए पहली बार कैरोटिड एंजियोप्लास्टी का रास्ता चुना गया। ये पहला ऑपरेशन था, इसलिए विशेषज्ञ हर रूप से तैयार थे।
जिस डीएसए मशीन से ऑपरेशन किया गया। वह कोरोना से पहले ही आई थी, लेकिन अब तक इसका उपयोग बीमारी को चिह्नित करने और एंजियोग्राफी तक ही सीमित था। टीम में डॉ. खेमराज मीना (एनेस्थेटिक), डॉ. गौरव जायसवाल (न्यूरोसर्जन) की भी सक्रिय भूमिका रही।