उदयपुर। श्रावण मास के आखिरी सोमवार को अभिजित मुहूर्त में आशुतोष भगवान महाकाल का श्रीविग्रह अर्धनारिश्वर स्वरूप में रजत पालकी में विराजित होकर नगर भ्रमण पर निकले। प्रभु महाकाल की शाही सवारी में वर्ष 70 झांकियां सम्मिलित हुई है।

सोमवार दोपहर करीब 12.15 बजे महाकाल मंदिर से भगवान महाकाल का शहर भ्रमण शुरू हुआ। इस वर्ष 54 फिट ऊँची देवदण्ड दर्शन यात्रा विश्ेष आकर्षण का केन्द्र रहीं। इन झांकियों में प्रमुख रूप से सर्वप्रथम महाकाल की विजय पताका जिस पर नंदी विराजमान, नंदी पर सवार महादेव व सिंह पर सवार मां पार्वती, अपने पुत्र कार्तिकेय व विघ्नहर्ता श्री गणेश व मां महाकाली शिवारूढ़ व भक्तों की मनोकामनाओं को पूर्ण करती अन्नपूर्णा रही। इसी के साथ 5 नंदी व 6 गौमाता अपने वत्स के साथ, हाथी, घोड़े, व 11 रजत पालकी भी साथ रही। कार पर स्थापित कर उन पालकियों में प्रभु एकलिंगनाथ, मां ललिता अम्बा, गोपाल, महामृत्युंजय यंत्र, श्रीयंत्र सहित गोल्फ कार जिनमें 674 की बहुमूल्य तस्वीर जो महाकाल की जटा में भव्य शिव बारात भगवान शिव व विष्णु द्वारा त्रिशुल व सुदर्शन चक्र का परस्पर आदान प्रदान, अर्धनारिश्वर स्परूप व शिव परिवार की स्वरूप सुन्दर ऑइल पेन्ट में तैयार चित्र के साथ विन्टेज कार में प्रभु श्रीनाथ का मंगला स्वरूप दर्शन इस शाही सवारी मे मुख्य आकर्षण रही।
प्रभु महाकाल की शाही सवारी में मर्यादा पुरूषोतम श्रीराम, प्रभु हनुमान सहित शाही सवारी की शोभा बढाती हुई नजर आई। इस शाही सवारी में सृष्टि के रचियता विश्वकर्मा व भगवान परशुराम, परम शिवभक्त देहदानी महर्षि दधिचि की झांकी आकर्षक थी। महाकाल मंदिर से शुरू होकर यह महाकाल की शाही सवारी फतहसागर काला किंवाड़, चेतक, हाथीपोल होते हुए घंटाघर, जगदीश चौक, चांदपोल, अम्बामाता मंदिर, राड़ाजी चौराहा होते हुए पुन: महाकाल मंदिर पहुंची, जहां पर भव्य आरती का आयोजन किया गया और महाकाल को पुन: विराजित करवाया गया। शाही सवारी में 5 बैंड, एक डीजे व 11 विषेष ढोल शिव भजन के साथ व कलश भी यात्रा के साथ चल रहे थे।
जगह-जगह पर लोगों ने किया स्वागत
शहर भ्रमण पर निकले कालों के काल महाकाल का जगह-जगह पर लोगों ने बड़ी ही श्रद्धा के साथ स्वागत किया। इस दौरान लोगों ने अपने स्थान पर ही खड़े होकर महाकाल की पूजाकर दर्शन लाभ लिया।